Homeराज्यउत्तर प्रदेशअब पता चली अकबरपुर में गठबंधन की हार की असली वजह,पहले नीतम...

अब पता चली अकबरपुर में गठबंधन की हार की असली वजह,पहले नीतम को बनाया जाना था कांग्रेस प्रत्याशी


अब पता चली अकबरपुर में गठबंधन की हार की असली वजह,पहले नीतम को बनाया जाना था कांग्रेस प्रत्याशी,The alliance’s defeat in Akbarpur

– अकबरपुर में इंडी गठबंधन को ले डूबा राजा रामपाल का अति उत्साह, बहुत कमजोर बूथ प्रबंधन और समर्पित पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा

– अकबरपुर में तकरीबन कम से – कम 30 प्रतिशत बूथों पर नहीं थे गठबंधन प्रत्याशी के एजेंट, और ना ही लगाए गए थे बस्ते, .लगभग यही हाल कानपुर में भी गठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी का भी रहा

– अगर गठबंधन नहीं होता तो अकबरपुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी होते 2017 के गुजरात चुनाव में अपने अनुभव , सुझाव और प्रबंधन रणनीति का कांग्रेस के हित में लोहा मनवा चुके प्रदेश सचिव नीतम सचान

सुनील बाजपेई
कानपुर। स्मार्ट हलचल/कानपुर और अकबरपुर में भारतीय जनता पार्टी से हुई पराजय को इंडी गठबंधन पचा नहीं पा रहा है।इस बारे में पार्टी के पुराने और समर्पित माने जाने वाले कार्यकर्ताओं और नेताओं की माने तो अकबरपुर में भाजपा से गठबंधन की प्रत्याशी राजा रामपाल की पराजय कारण उनका अति उत्साह ही रहा। … और सूत्रों के मुताबिक गठबंधन प्रत्याशी राजाराम पाल की पराजय की दूसरी सबसे बड़ी वजह बहुत कमजोर बूथ प्रबंधन,जिसकी सत्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकबरपुर के लगभग 30% से भी ज्यादा मतदान बूथों पर एजेंटों की नियुक्ति ही नहीं की गई थी। साथ ही अनेक मतदान केंद्रों पर बस्ते ही नहीं लगाए गए थे। जबकि भाजपा का बूथ प्रबंधन हर दृष्टिकोण से बहुत मजबूत था। शायद गठबंधन प्रत्याशी राजाराम पाल और उनके सलाहकार समर्थकों को पूरा यकीन था कि वह कुछ भी ना करें तब भी वह अकबरपुर की सीट अवश्य ही जीत जाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
कुल मिलाकर गठबंधन प्रत्याशी राजाराम पाल के जीत को लेकर अति उत्साह ,वोटरों और समर्पित पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा बूथों पर बिल्कुल ही ध्यान नहीं देना। यहां तक की एजेंट भी नहीं नियुक्त करना और बस्ते भी नहीं लगवाना ही उनकी पराजय का कारण बन गई।और काफी कुछ लगभग यही हाल कानपुर लोकसभा सीट का भी रहा ,जहां से गठबंधन के कांग्रेस से प्रत्याशी आलोक मिश्रा मैदान में थे।
अकबरपुर और कानपुर लोकसभा सीट पर हार जीत में वोटों का अंतर भी यही साबित करता है कि राजाराम पाल और आलोक मिश्रा की पराजय का कारण कोई और नहीं बल्कि वह खुद ही हैं। अगर भारतीय जनता पार्टी की तरह राजा रामपाल और आलोक मिश्रा जीत को लेकर अति विस्वास से अति उत्साहित नहीं होते। बूथों पर पर्याप्त ध्यान दिया होता। जीतने के लिए फर्जी वोटिंग के खिलाफ हर बूथ पर एजेंट नियुक्त किया होता। सभी जगह बस्ते लगवाये होते, जातीय गणित के हिसाब से मतदाताओं की उपेक्षा नहीं की होती। उनसे संपर्क किया होता तो दोनों ही सीटों पर परिणाम इंडी गठबंधन के ही पक्ष में होते। एक सवाल यह भी कि अगर गठबंधन नहीं होता तो क्या तब भी कांग्रेस अकबरपुर सीट अपनी झोली में डालने में सफल हो सकती थी। चुनाव में हार जीत के गुणा भाग में माहिर लोग इसका जवाब कांग्रेस के पक्ष में ही देते हैं। उनके मुताबिक अगर गठबंधन नहीं हुआ होता तो फिर अकबरपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी होते
लोकहित में अपनी धुन के पक्के, कठोर परिश्रमी, हर किसी के सुख दुख में सदैव साथ खड़े होने वाले तथा व्यवहार कुशल होने के फलस्वरूप कोई भी चुनाव जीतने की हद तक हर जाति ,हर धर्म और हर वर्ग के लोगों में मजबूत पकड़ रखने वाले कांग्रेस के प्रदेश सचिव वरिष्ठ युवा नेता नीतम सचान।
समर्थक सूत्रों का दावा है कि सक्षम और संपन्न होने के बाद भी अहम भाव से मुक्त और उचित पात्र लोगों की हर संभव सहायता करने वाले प्रखर समाजसेवी जन समस्याओं के निस्तारण में भी शुरू से ही अग्रणी राहुल गांधी के अति नजदीकी, कांग्रेस के प्रचार, प्रसार और उसे मजबूत करने में भी अनवरत जुटे रहने वाले कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष , जिला पंचायत सदस्य, युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष, कुशल बूथ प्रबंधन के भी महारथी नीतम सचान को अकबरपुर सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़वाने के फलस्वरूप अकबरपुर सीट हर हाल में कांग्रेस के खाते में ही जाने से कोई भी ताकत नहीं रोक सकती थी।
इसी के साथ समर्थक सूत्र यह भी दावा करते हैं कि व्यक्तिगत रूप से अपने गहन अध्ययन और समीक्षा से कानपुर से कांग्रेसी आलोक मिश्रा और अकबरपुर में गठबंधन प्रत्याशी राजाराम पाल की पराजय के स्पष्ट कारणों के जानकार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नीतम सचान 2017 में गुजरात जाकर वहां होने वाले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से अपने गहन अनुभव, सुझाव ,प्रबंधन और चुनावी रणनीति कांग्रेस के हित में प्रमाणित कर चुके हैं। उस आधार प्रत्याशी बनाए जाने के फलस्वरुप 2024 के लोकसभा चुनाव में अकबरपुर सीट भी अवश्य ही कांग्रेस के खाते में होती।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES