राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में 400 सालों से भी ज्यादा समय के बाद उत्तराधिकार परंपरा के मुताबिक मेवाड़ राजघराने के उत्तराधिकारी के तौर पर नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह का राजतिलक समारोह आयोजित किया गया. ये समारोह चित्तौड़गढ़ के दुर्ग स्थित फतेह प्रकाश पैलेस के सहन में आयोजित हुआ. वैदिक परंपरा के मुताबिक इस कार्यक्रम में पूर्णाहुति के साथ गाड़ी की पूजा के बाद सलूंबर रावत देवव्रत सिंह ने हाथ पकड़ कर विश्वराज सिंह को गद्दी पर बैठाया.
चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजतिलक की रस्म का साक्षी बना
493 साल बाद आज (25 नवंबर) 2024 को चित्तौड़गढ़ दुर्ग राजतिलक की रस्म का साक्षी बना. कार्यक्रम में देश भर से कई लोगों ने शिरकत की. मेवाड़ की प्राचीन राजधानी रहा चित्तौड़ दुर्ग पर महाराणा विक्रमादित्य का 1531 ईस्वी में राजतिलक ही अंतिम बार का राजतिलक हुआ था. इसके बाद मेवाड़ राजवंश के 77वीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी विश्वराज सिंह महाराणा की उपाधि चित्तौड़ दुर्ग पर धारण की.
दुर्ग के सातों दरवाजों पर ढोल-नगाड़ों से मेहमानों का किया स्वागत
दुर्ग के सभी सातों दरवाजों पर आने वालों का ढोल-नगाड़ों से स्वागत किया गया. चित्तौड़ दुर्ग पर आयोजित कार्यक्रम में देशभर के पूर्व राजघरानों के सदस्य, रिश्तेदार और गणमान्य नागरिकों के अलावा आमजन सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. विधि विधान से कार्यक्रम का हुआ. विश्वराज सिंह ने यज्ञ में पूर्णाहुति दी. इसके बाद रस्म शुरू हुआ.
493 साल बाद कार्यक्रम
उन्होंने आगे कहा कि 493 साल बाद इस तरह का कार्यक्रम चित्तौड़गढ़ में आयोजित किया गया है. हालांकि सोशल मीडिया पर लोग इस तरह के कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने विरोध करने को लेकर कहा कि यह परंपरा है और इस परंपरा का किसी को विरोध नहीं करना चाहिए. वहीं कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष अशोक सिंह मतवाला ने एकलिंग नाथ मंदिर और सिटी पैलेस में जाने को लेकर जारी विवाद पर बात की.