देवलोक से छोटी काशी बूंदी तक,
बूंदी- स्मार्ट हलचल|राजस्थान की ऐतिहासिक भूमि, जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, बूंदी शहर न केवल अपने गढ़-पैलेस और बावड़ियों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी आध्यात्मिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। इसी विरासत की एक अनूठी कड़ी हैं शहर में मौजूद वे दिव्य ‘कल्पवृक्ष’, जो सीधे देवलोक की पौराणिक कथाओं से जुड़े हैं और श्रद्धालुओं के लिए गहरी आस्था का केंद्र हैं। यह कोई साधारण वृक्ष नहीं हैं, बल्कि इन्हें हिन्दू धर्म में मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला साक्षात देववृक्ष माना गया है। बूंदी में इनकी मौजूदगी शहर के आध्यात्मिक महत्व को और भी बढ़ा देती है।
शहर के श्रद्धालु और आगंतुक पवित्र कल्प वृक्षों के दर्शन गणेश बाग स्थित श्रीरामभक्त हनुमान मंदिर, नृसिंह आश्रम केसरी नंदन हनुमान मंदिर, दधिमति माता मंदिर, रेलवे स्टेशन स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर, जिला सार्वजनिक पुस्तकालय में कर सकते हैं। यहां कल्प वृक्ष जोडें के रूप में मौजूद है। कल्पवृक्ष भक्तों के लिए केवल वनस्पति नहीं, बल्कि साक्षात देवत्व का प्रतीक हैं, जिनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
कल्पवृक्ष का पौराणिक महत्व
कल्पवृक्ष की उत्पत्ति की कथा सीधे सृष्टि के सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक ‘समुद्र मंथन’ से जुड़ी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर का मंथन किया, तो उसमें से 14 बहुमूल्य रत्न निकले थे। इन्हीं रत्नों में से एक दिव्य ‘कल्पवृक्ष’ भी था। यह एक ऐसा चमत्कारी वृक्ष था जिसमें संसार की हर इच्छा को पूरा करने की क्षमता थी।
मंथन के बाद, देवराज इंद्र इस अद्भुत वृक्ष को अपने साथ स्वर्गलोक ले गए और इसे अपनी ‘नंदन वन’ नामक वाटिका में स्थापित कर दिया। तभी से यह माना जाता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जो भी सच्ची कामना की जाए, वह अवश्य पूर्ण होती है। इसे दीर्घायु और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी माना जाता है।
आस्था और विश्वास का केंद्र
चारभुजा विकास समिति अध्यक्ष पुरूषोत्तम पारीक के अनुसार बूंदी में इन कल्पवृक्षों का होना यहाँ के निवासियों के लिए एक बड़े सौभाग्य की बात है। लोग पूरी श्रद्धा के साथ इन वृक्षों की परिक्रमा करते हैं, धागे बांधते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। यह वृक्ष शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। यह कल्पवृक्ष केवल एक वनस्पति नहीं, बल्कि पौराणिक कथाओं, गहरी आस्था और सकारात्मक ऊर्जा का जीवंत प्रतीक हैं, जो बूंदी की धरती को और भी पवित्र बनाते हैं।


