(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
लखनऊ। स्मार्ट हलचल|उत्तर प्रदेश के बहराइच को दहला देने वाला रामगोपाल हत्याकांड आखिर न्याय की दहलीज़ तक पहुँच गया। जिस घटना ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की पावन रात को खून से रंग दिया था, उसी मामले में अदालत ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मुख्य दोषी सरफराज उर्फ रिंकू को फांसी की सजा दी गई है, जबकि उसके पिता अब्दुल हमीद, भाइयों फहीम और तालिब उर्फ सबलू सहित कुल आठ आरोपियों को आजीवन कारावास मिला है। एक अन्य दोषी सैफ अली को आठ वर्ष की सजा सुनाई गई है। सभी पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है।
बुधवार को दोष सिद्ध होने के बाद गुरुवार दोपहर अदालत में कड़ी सुरक्षा के बीच सजा सुनाई गई। कचहरी परिसर सुबह से ही लोगों की भीड़ से खचाखच भरा था—तनाव, उत्सुकता और फैसले का इंतजार… सब कुछ एक-साथ। जैसे-जैसे समय करीब आता गया, लोगों की धड़कनें तेज़ होती रहीं। फैसले के बाद पूरे परिसर में चर्चाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
क्यों खास है यह केस?
रामगोपाल की हत्या हुए 14 महीने होने को आए हैं। 13 अक्तूबर 2024 की वही शाम, जब दुर्गा विसर्जन के दौरान अचानक विवाद भड़का और देखते ही देखते पूरा जिला हिंसा की आग में झुलस गया। हालात इतने बिगड़े कि पीएसी, आरएएफ तक उतारनी पड़ी। प्रशासनिक अमला—from डीएम से लेकर एसपी तक—मैदान में डटा रहा। पर हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही थी। तब मुख्यमंत्री योगी के हस्तक्षेप के बाद यूपी एटीएस चीफ अमिताभ यश को कमान दी गई और धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी।
परिवार आज भी उस दिन की चीखें भूल नहीं पाया
13 अक्तूबर का जिक्र होते ही रामगोपाल की मां मुन्नी देवी खुद को संभाल नहीं पातीं। आँखों से लगातार आंसू बहते हैं… शब्द नहीं निकलते, बस बेटे का नाम। पत्नी रोली मिश्रा की आंखें अब भी न्याय की आस में पथराई हुई हैं। पिता कैलाश नाथ मिश्र बेटे का गम सहन न कर सके—स्वास्थ्य इतना बिगड़ा कि आज भी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं। बड़े बेटे हरमिलन मिश्र ही अब परिवार की उम्मीद बने हुए हैं।
पुलिस अफसर भी कार्रवाई की जद में
अपर पुलिस अधीक्षक डीपी तिवारी ने बताया कि घटना के अगले ही दिन हरदी एसओ सुरेश कुमार वर्मा और महसी चौकी इंचार्ज शिव कुमार सरोज को निलंबित कर दिया गया था। तीन दिन बाद सुरक्षा में लापरवाही के आरोप में सीओ रुपेंद्र गौड़ पर भी कार्रवाई की गई। इन तीनों पर विभागीय जांच अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
अदालत का फैसला-पीड़ित परिवार ने राहत की सांस ली
लंबे इंतजार के बाद आया यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए एक सुकून लेकर आया है। पूरे जिले में फैसले को लेकर चर्चा है कि आखिरकार न्याय की जीत हुई और दोषियों को कड़ी सजा मिली।दुर्गा विसर्जन की रात शुरू हुई ये त्रासदी… आज न्याय की सुबह बनकर लौट आई।


