Homeबीकानेर“सेल्फ स्टडी से सत्येन बने राजस्थान के सबसे युवा असिस्टेंट प्रोफेसर

“सेल्फ स्टडी से सत्येन बने राजस्थान के सबसे युवा असिस्टेंट प्रोफेसर

समर्पित व सतत प्रयासों ने सत्येन को दिलाई सफलता

अंग्रेज़ी विषय में बाँसवाड़ा के कन्या महाविद्यालय में हुआ पदस्थापन

बाँसवाड़ा,स्मार्ट हलचल/“सुनियोजित, सतत और सधे समर्पित प्रयासों से किसी भी लक्ष्य को सफलता में बदला जा सकता है “यह चरितार्थ किया है राजस्थान लोक सेवा आयोग से चयनित एवं आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा द्वारा हरिदेव जोशी राजकीय कन्या महाविद्यालय में हाल ही में पदस्थापित सत्येन पानेरी ने। बड़ोदिया निवासी सत्येन पानेरी ने सेल्फ स्टडी कर राज्यमें कॉलेज शिक्षा में अंग्रेजी विषय के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की कुल147 की सूची में सबसे कम उम्र मात्र 23की वय में 17 वां स्थान अर्जित कर न सिर्फ जिले को गौरवांवित किया अपितु अन्य विद्यार्थियों को भी प्रेरणा दी है ।

कॉलेज में स्वयंपाठी विद्यार्थी रहा सत्येन :
सत्येन ने विद्यालयी शिक्षा विद्या निकेतन विद्यालय बड़ोदिया, न्यू लुक सेंट्रल स्कूल लोधा तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्वयंपाठी के रूप में अर्जित की है। स्नातकोत्तर पूर्वार्ध के साथ ही राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट की परीक्षा देना प्रारंभ किया और उल्लेखनीय यह रहा कि सत्येन ने नेट परीक्षा में असफल होने पर हिम्मत नहीं हारी और चतुर्थ प्रयास में यह सफलता प्राप्त की।

राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा ‘नेट’और राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा की तैयारी में गत आरपीएससी 2020के अंग्रेजीविषयकेटॉपर और वर्तमान में कॉलेज शिक्षामें असिस्टेंटप्रोफ़ेसर बनेपीयूष भेरा जोवर्तमानमेंराजकीयमहाविद्यालयमांडलगढ़मेंनियुक्तहैं, का विशेष मार्गदर्शन और सहयोग रहा है। पाठ्यक्रम के अनुसार प्रामाणिक पुस्तकों एवंरेफेरेंसबुक्सका चयन कर योजनाबद्ध रूप से उसका नियमित अध्ययन करना ही सफलता का आधाररहा।

इस तरह सत्येन ने पाई सफलता:

सत्येन का कहना है कि अध्ययन के लिए वाचन, मनन और लेखन तीन स्तर है,जिसमें प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन अध्ययन उपरांत उन पुस्तकों की विषयवस्तु का पाठ्यक्रम अनुसार मनन और तदुपरांत स्वयं के हस्तलेख में उसके नोट्स तैयार करने से विषय वस्तु पर हमारी समझ गहरी और स्थाई रहती है। उसका मानना है कि प्रामाणिक ऑनलाइन उपलब्ध विषय सामग्री को जब तक हम अपने स्वयं के हस्तलिखित से नोट्स के रूप में तैयार नहीं करते हैं तब तक वह परीक्षा में आए हुए प्रश्नों के उत्तर देने में हमें सहायक और कारगर नहीं हो सकता है।
सत्येन ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर की तैयारी में उसने संपूर्ण भारत में इस स्तर की आयोजित होने वाली अंग्रेजी विषय की परीक्षाओं के लगभग 250 प्रश्नपत्रों को हल किया है ,जिससे पढ़ने के साथ-साथ प्रश्न और प्रश्नों को समझने की क्षमता का विकास हुआ।

इनकी प्रेरणा मिली:

सत्येन ने बताया कि दादाजी लक्ष्मीनारायण जी पानेरी से स्वयं पर पूर्ण विश्वास और अदम्य साहस विरासत में प्राप्त हुआ है वहीं दादी पुष्पा पानेरी और माता मीनाक्षी पानेरी से आध्यात्मिक और धार्मिक संस्कार प्राप्त हुए हैं जिसकी प्रेरणा से वह नियमित शिव मंदिर जाया करता है जिससे उसे मानसिक दृढ़ता प्राप्त हुई है।सत्येन बताया कि इस परीक्षा की तैयारी और परीक्षा देने में उसके छोटे भाई वेदांग पानेरी और मित्र कुणाल शर्मा का विशेष सहयोग रहा है जिन्होंने समय पर उसे परीक्षा के तनाव से मुक्त करने में विशेष सहयोग प्रदान किया।

सुखाड़िया विश्वविद्यालय पीएच.डी हेतु पंजीकृत
सत्येन मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर पीएचडी हेतु पंजीयन भी हो चुका है|सनातन संस्कृति के चिरंतन शाश्वत गहन के अध्ययन में भी विशेष रूचि के कारण ही वह शोध निर्देशक डॉ.कोपल वत्स के निर्देशन में भारतीय संस्कृति और दर्शन का अंग्रेजी साहित्य में किस प्रकार प्रयोग और प्रदर्शन हुआ है इस दिशा में शोधरतहै।

पिता के पद चिह्नों पर पुत्र:

सत्येन के पिता डॉ नरेंद्र पानेरी हिंदी विषय में सह आचार्य पद पर श्री गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा में पद स्थापित है एवंवर्तमानमेंगोविन्दगुरुजनजातीयविश्वविद्यालयमेंप्रतिनियुक्तिपरहैं तथावोभी कॉलेज में स्वयंपाठी विद्यार्थी रह करसेल्फस्टडीसेही इसमुकामतकपहुचेथे । बाँसवाड़ा जिले में पिता पुत्र का उच्च शिक्षा में एक साथ कार्य करने का वर्तमान में ऐसा पहला उदाहरण है । उसने बताया कि दसवीं कक्षा में अध्ययन के दौरान उसे पिताजी ने अध्ययन का तरीका और कठोर मेहनत करना सिखा दिया था साथ ही यह भी दिखाया कि हमारा कार्य केवल परीक्षा की योजनाबद्ध तैयारी और अपना सर्वश्रेष्ठ परीक्षा में प्रदर्शित करना होता है परिणाम की चिंता के बिना किया गया कर्म सदैव सफल होता है यही इस परीक्षा की सफलता का मूल मंत्र रहा है

सत्येन का युवाओं के लिए सन्देश:
एकाग्रता के लिए अधिक सुने व कम बोले। अनावश्यक सामाजिक दायरा सीमित रखे। कठिन मेहनत से सफलता के शिखर पर पहुँचा जा सकता है मेहनत का फल मीठा होता है, यह बात हम सभी जानते हैं लेकिन सच यह भी है कि जीवन से जुड़े किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए कठोर परिश्रम और दृढ़ संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता है. इंसान को अपने सपनों को अपने पसीने या यानि कड़ी मेहनत से ही सींचना पड़ता है. यदि आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में मन से मेहनत करने को तैयार रहते हैं तो आप भविष्य में कुछ भी हासिल कर सकते हैं लेकिन यदि आप इससे जरा भी कतराते हैं तो आपकी सफलता पर संशय है. जीवन में बड़ी से बड़ी सफलता को पाने का मूल आधार कठिन परिश्रम, सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास होता है। सकारात्मक सोचने वाला व्यक्ति ही सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच पाता है। हालाँकि सकारात्मक सोच का स्वामी बनना आसान नहीं है, पर थोड़ी सी मेहनत से इसे जीवन में उतारा जा सकता है। सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति कभी भी नकारात्मक नहीं सोचता है। अतः सर्वप्रथम अपने भीतर से हीन भावना का परित्याग कर देना चाहिए। “अब मैं क्या कर सकता हूँ, कैसे कर सकता हूँ” इन विचारों को हमेशा के लिए अपने मन-मस्तिष्क से निकाल देना चाहिए। इन नकारात्मक विचारों के स्थान पर “मैं क्या नहीं कर सकता हूँ, सब कुछ संभव है, असंभव कुछ भी नहीं” इन विचारों को अपने चिंतन का अनिवार्य हिस्सा बना लेना चाहिए। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति कभी भी छोटी बात नहीं सोचता है। जब सोच ऊँची होगी, तभी उड़ान ऊँची होगी और ऊँचाइयों पर पहुँचा जा सकेगा।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES