राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में भाग लेकर लौटे ज्योतिषी स्वामी का किया अभिनन्दन
हरसौर|स्मार्ट हलचल|यदि घर में अग्नि तत्व का संतुलन ठीक नहीं होता है, तो परिवार के सदस्यों में आत्मविश्वास की कमी और संबंधों में परेशानियां बनी रहती हैं। वहीं पृथ्वी तत्व के असंतुलन से मानसिक, शारीरिक और सामाजिक जीवन में स्थायित्व नहीं रह पाता। यह कस्बे के प्रख्यात ज्योतिषी महावीर स्वामी ने व्यक्त किए। स्वामी अखिल भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन से यहां लौटे थे। स्थानीय प्रबुद्धजनों ने स्वामी का साफा एवं माला पहनाकर अभिनंदन किया। स्वामी ने बताया कि
सम्मेलन में देशभर से आए ज्योतिष विद्वानों ने वास्तु दोषों के प्रभाव और उनके उपायों पर विस्तृत जानकारी दी। संगोष्ठी के दूसरे दिन महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। स्वामी ने कार्यक्रम में वास्तु शास्त्र का मानव जीवन पर प्रभाव विषय पर अपने शोध प्रस्तुत किए। स्वामी ने घर और दुकान में पंचतत्वों के संतुलन को जीवन की स्थिरता, स्वास्थ्य और समृद्धि से जोड़ते हुए उपयोगी जानकारी साझा की।
मेवाड़ में ज्ञान संरक्षण की परंपरा वर्षों से जीवंत-
इस मौके पर डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि यह सम्मेलन केवल ज्योतिष का मंच नहीं है, बल्कि आमजन को अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को सरल भाषा में समझने का अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ की पहचान सदैव ज्ञान के संरक्षण और उसे सम्मान देने की रही है। ज्ञान संरक्षण की यह परंपरा लगभग 1500 वर्षों से निरंतर चली आ रही है और आने वाले समय में भी यह परंपरा उसी सम्मान और गौरव के साथ आगे बढ़ती रहेगी।
वायु कोण में हो बेटी का शयनकक्ष-
स्वामी ने जानकारी दी कि वायु कोण में बेटी का शयनकक्ष होने से उसके समय पर शादी के योग बनने में सहायता मिलती है। अग्नि कोण के दोष सुधार के लिए तुलसी का पौधा लगाकर सुबह-शाम दीपक जलाना चाहिए। वहीं ईशान कोण में गंगाजल से भरा पात्र रखने से उस दिशा का दोष दूर होता है।
वायु, जल और आकाश तत्व में असंतुलन से समस्याएं-
स्वामी ने बताया कि जल तत्व के बिगड़ने पर समृद्धि रुक जाती है, योजनाएं बनती हैं पर पूरी नहीं हो पातीं। वायु तत्व में दोष होने पर क्रोध, चिड़चिड़ापन और मानसिक असंतुलन बढ़ता है। वहीं आकाश तत्व में असंतुलन होने से घर में घुटन जैसा माहौल बन जाता है, मन खुलकर सोच नहीं पाता और बार-बार निर्णय बदलने की स्थिति बनती है, जिससे जीवन में स्थिरता नहीं रहती।


