भक्ति मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है- गोपीराम
♦भक्ति जिसके मन में प्रवेश हो जाती वह स्वतः अमीर
♦मनुष्य को पाँच माहपापों से सदैव बचना चाहिए
♦भागवत का रस केवल पृथ्वी पर ही मिलता
(हरिप्रसाद शर्मा)
पुष्कर/स्मार्ट हलचल/अजमेर धर्म नगरी तीर्थराज पुष्कर में श्रीमद्भागवत भागवत सप्ताह का आयोजन के दूसरे दिन रविवार को संत गोपीराम महाराज|श्रीमद्भागवत कथा का वाचन व्यासपीठ से करते हुए कहा जीवन की भक्ति मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है , इसके अलावा दूसरा नहीं है । महाराज ने भक्तों को अलग-अलग विषयों का उदाहरण देते हुए सरल शब्दों में समझाया है ।उन्होंने कहा कि भक्ति करने वाला निर्धन होकर भी वह अमीर है, क्योंकि उसके पास भक्ति है । भक्ति जिसके मन में प्रवेश हो जाती वह स्वतः अमीर है । महाराज ने अपने कहा कि मन की शुद्धि के लिए सबसे पहले भगवान का नाम हो, सत्संग हो। भागवत कथा श्रवण से अपने जीवन की शुद्धि हो सकती हैं ।
यह कथा मुख्य यजमान सिंहल परिवार रघुनाथपुरा द्वारा करवाई जा रही है ।
महाराज ने अपनी कथा के दौरान भक्तों को पाँच माहपापों के बारे में बताया । उन्होंने कहा कि मनुष्य को मदिरा पान, ब्रह्म हत्या, सोने की चोरी , पर स्त्री गमन, विश्वासघात आदि जैसे काम नहीं करने चाहिए । महाराज ने कहा भागवत का रस पीने वाला है , जीवन में उतारने वाली है । उन्होंने ने स्पष्ट कहा कि भागवत का रस कहीं नहीं मिलता है । यह रस केवल पृथ्वी पर ही मिलता है। कथा समिति जुड़े दामोदर अग्रवाल ने बताया भीषण गर्मी को देखते हुए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पेयजल व कूलर पंखे आदि की पूर्ण व्यवस्था की गई हैं ।