(हरिप्रसाद शर्मा )
अजमेर/स्मार्ट हलचल|राजस्थान के झालावाड़ में बीते दिनों जर्जर स्कूल की दीवार गिरने से हुई मासूम बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया, लेकिन सरकारी तंत्र की नींद अब तक नहीं टूटी है। अजमेर में राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग का कार्यालय खुद एक बड़े हादसे को दावत दे रहा है। वर्षों पुरानी यह इमारत इतनी जर्जर हो चुकी है कि अब उसके हिस्से गिरने लगे हैं। हाल ही में हुई बारिश के दौरान मुख्य द्वार के ऊपर का छज्जा भरभरा कर गिर पड़ा, जिससे विभाग को मुख्य द्वार बंद करना पड़ा।
*कर्मचारियों की जान जोखिम में, चेतावनी नोटिस ही सहारा
घटना के बाद विभाग ने सिर्फ एक चेतावनी नोटिस चस्पा किया जिसमें लिखा गया कि “प्रवेश भवन के पिलर की साइड से करें”, लेकिन इमारत की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है, पिलरों में गहरी दरारें हैं और शौचालय की स्थिति इतनी भयावह है कि उसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। वहां भी हादसे की आशंका को लेकर नोटिस लगा दिया गया है।
*कर्मचारी बोले- हर दिन डर के साए में करते हैं काम
कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी कुलदीप वर्मा ने बताया कि बारिश के बाद जब मुख्य छज्जा गिरा तब विभाग हरकत में आया, लेकिन अब तक सिर्फ नोटिस तक ही सीमित है। “हम रोज डर के साए में काम कर रहे हैं। हमेशा यही डर रहता है कि कब कोई दीवार या छत गिर जाए।”
*PWD ने किया निरीक्षण, कार्रवाई अधर में
लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीम ने भवन का निरीक्षण जरूर किया है और मरम्मत की योजना तैयार की जा रही है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है। जब तक मरम्मत का कार्य शुरू नहीं होता, तब तक वहां कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा भगवान भरोसे बनी हुई है।
*सरकारी लापरवाही पर उठे सवाल
सवाल उठता है कि क्या सरकारी विभाग किसी बड़ी जानलेवा घटना के बाद ही हरकत में आएंगे? झालावाड़ की घटना के बावजूद सरकार और संबंधित विभागों की निष्क्रियता कर्मचारियों की जान को खतरे में डाल रही है। अब समय है कि सरकार तत्काल संज्ञान लेकर ऐसे जर्जर भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू करे, ताकि किसी और जान की कीमत लापरवाही की भेंट न चढ़े।