दिलखुश मोटीस
सावर (अजमेर) स्मार्ट हलचल|पंचायत समिति क्षेत्र के घटियाली पंचायत का नाडी गांव आज एक अजीब संकट से जूझ रहा है — समस्या सिर्फ पानी की नहीं, सोच की है। बारिश तो कुदरत का काम है, मगर निकासी को रोकना इंसान की ‘हठधर्मिता’ है।माली मोहल्ला जलजमाव से कराह रहा है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। घरों में पानी घुस चुका है और गांव के बीचोंबीच बना सरकारी विद्यालय अब तैराकी प्रशिक्षण केंद्र जैसा नजर आ रहा है।
सवाल ये नहीं कि पानी कहां से आया — सवाल ये है कि पानी जाने क्यों नहीं दिया जा रहा?
विवाद का केंद्र: वह पुराना नाला
विद्यालय परिसर से होकर गुजरता एक वर्षों पुराना नाला — जो वर्षों से गांव की जलनिकासी का एकमात्र ज़रिया रहा — आज विवाद का विषय बना हुआ है। गांववालों ने अपने संसाधनों से पहल की, चंदा जुटाया, श्रम देने को तैयार हुए, लेकिन शाला प्रधान श्रीमती पार्वती देवी व उनके पति रमेश गुर्जर ने साफ शब्दों में कह दिया:
“हम स्कूल में नाले की सफाई नहीं होने देंगे।”
जब जिम्मेदार ही बन जाएं रुकावट, तो उम्मीद किससे हो?
जिस शिक्षण संस्था में बच्चों को समस्याओं का समाधान सिखाया जाता है, वहीं समस्या को जड़ से हटाने से मना किया जा रहा है। आज गांव के बच्चे सवाल कर रहे हैं —
“क्या पढ़ाई सिर्फ किताबों से होती है, या ज़मीनी समस्याओं से जूझने से भी?”
जनसंकल्प: अब निर्णय का समय
गांववालों ने एकमत होकर ऐलान किया है —
> “यदि 7 दिन में सफाई शुरू नहीं हुई तो हम अपने बच्चों की टीसी लेंगे और उस विद्यालय में कदम नहीं रखेंगे, जहां शिक्षा की बजाय अड़ियल रवैये का पाठ पढ़ाया जा रहा है।”
प्रशासन से उम्मीदें बाक़ी हैं… मगर सीमित
वार्डपंच के नेतृत्व में ज्ञापन की तैयारी हो चुकी है। अब प्रशासन पर जिम्मेदारी है कि वह गांव की आवाज़ सुने — क्योंकि यहां बात केवल बारिश की नहीं, जनविश्वास की है।
सोहनपाल गुर्जर, मनराज गुर्जर, मुकेश गुर्जर, ब्रह्मदेव मीणा, दुर्गालाल माली, देवालाल माली, भागचंद माली, भंवरलाल माली, राजूलाल मीणा, अजय मीणा, किशनलाल, भैरूसिंह समेत अनेक ग्रामवासियों ने इस समस्या को गंभीर बताया है