कैथून. स्मार्ट हलचल|कस्बे के वैद्यनाथ महादेव मंदिर परिसर में चल रहे ग्यारह दिवसीय शिवमहापुराण ज्ञान यज्ञ कथा में 7 वे दिन भगवान शिव के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन हुआ। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल व अध्यक्षता पूर्व पीपल्दा विधायक विद्याशंकर नंदवाना रहे।अतिथि प्रहलाद गुंजल द्वारा कथा वाचक का पुष्प हार व साफा पहनाकर सम्मान किया गया। कथावाचक पं. भूपेंद्र शास्त्री बूंदी वालों ने कहा कि शिव व पार्वती विवाह का बहुत ही सुंदर प्रसंग सुनाया हैं। उन्होंने बताया कि भगवान शिव का पहला विवाह सती से हुआ था। सती के पिता दक्ष इस विवाह से नाराज थे। ब्रह्माजी के कहने पर विवाह हुआ। बाद में दक्ष ने यज्ञ किया, जिसमें भगवान शिव को छोड़कर सभी को बुलाया हुआ था।
इस अपमान से दुखी होकर सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया। इसके बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए। सती ने हिमवान के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। उस समय तारकासुर नामक असुर से देवता भयभीत थे। उसे वरदान था कि उसका वध केवल शिव की संतान ही कर सकती है। देवताओं ने शिव की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव को भेजा। शिव ने तपोबल से कामदेव को भस्म कर दिया। देवताओं की प्रार्थना पर शिव विवाह के लिए तैयार हुए। शिव पार्वती विवाह का प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव विभूर हो उठे और महिलाएं शिव भजनों में नृत्य करने लगी। सारा वातावरण भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा।
इस दौरान समाजसेवी गजेंद्र नागर, आशीष राठौर, बिट्टू पंडित सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।