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भारत ने यूएन में कहा- राजनीतिक फायदे के लिए न हो ‘वीटो’ इस्तेमाल

शाश्वत तिवारी

न्यूयॉर्क।स्मार्ट हलचल|भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वीटो के अधिकार का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं होना चाहिए। खासकर वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखने से जुड़े मामलों में इसका इस्तेमाल सोच-समझकर किया जाना चाहिए। भारत ने याद दिलाया कि पांचों स्थायी सदस्यों को वीटो का खास अधिकार मिला है, जिसके साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी जुड़ी हैं।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने 20 नवंबर को जनरल असेंबली प्लेनरी में ‘वीटो के उपयोग’ पर आयोजित एक बैठक के दौरान सदस्य देशों के समक्ष यह बातें रखी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने शुक्रवार को हरीश के बयान की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा की, जिसमें उन्होंने कहा वीटो का अधिकार केवल पांच सदस्य देशों को ही है और यह यूएन मेंबर देशों की बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ है। वीटो का इस्तेमाल अब तक स्थायी सदस्यों ने अपने-अपने राजनीतिक मकसद पूरे करने के लिए किया है। यह बताना जरूरी है कि यूएन के 80 साल के समय में, लगभग 200 प्रस्तावों पर करीब 300 वीटो का इस्तेमाल किया गया है। पांच में से दो परमानेंट मेंबर्स ने साढ़े तीन दशक से अधिक समय से वीटो का इस्तेमाल नहीं किया है।
भारतीय राजनयिक ने कहा अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) के मामले में, आम सहमति की बात असल में एक छिपा हुआ डी फैक्टो वीटो बन गई है। यह तरीका तरक्की में रुकावट डाल रहा है। इसलिए, सिक्योरिटी काउंसिल सुधारों के लिए आईजीएन फ्रेमवर्क के तहत कोई ठोस नतीजा नहीं निकाला जा सका। भारत सिक्योरिटी काउंसिल सुधारों के लिए एक बड़े तरीके की अपनी मांग दोहराता है। शुरुआती पॉइंट टेक्स्ट-बेस्ड बातचीत की जल्द शुरुआत है, जिसमें साफ तौर पर तय टाइमलाइन और माइलस्टोन हों।
बैठक के दौरान भारत ने वीटो पर कॉमन अफ्रीकन पोजीशन का भी समर्थन किया और दोहराया कि आठ दशक पुराने आर्किटेक्चर को मौजूदा जियोपॉलिटिकल सच्चाइयों को दिखाने के लिए फिर से डिजाइन किया जाना चाहिए।
बता दें कि भारत सबसे बड़े लोकतंत्र और एक जिम्मेदार राष्ट्र होने के नाते पिछले कुछ वर्षों से यूएनएससी में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। भारत न केवल अपने लिए, बल्कि ग्लोबल साउथ की आवाज बुलंद करने के लिए अफ्रीका को भी स्थायी सदस्यता के दायरे में लाने का पक्षधर रहा है। यही वजह है कि भारत यूएन में जान फूंकने के लिए शुरू किए गए आईजीएन फ्रेमवर्क की प्रक्रिया को त्वरित एवं न्यायसंगत बनाए जाने पर लगातार जोर दे रहा है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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