– अलीगढ़ थाना क्षेत्र के बराणा में सरकारी शिक्षक के साथ गम्भीर मारपीट से जुड़ा हैं मामला-नग्न व गंभीर चोटिल घायल अवस्था में श्मशान घाट में पड़ा मिला था शिक्षक,
– प्रकरण में कुल 4 मुलजिम-एक आरोपी का केस से नाम हटाने का आरोप-पुलिस दो मुलजिमों को बता रही अब तक फरार-एक मुख्य आरोपी को जेल
टोंक/अलीगढ़ ।स्मार्ट हलचल|जिले के उनियारा सर्किल अन्तर्गत अलीगढ़ थाना क्षेत्र के चर्चित प्रकरण सरकारी शिक्षक पर जानलेवा कातिलाना हमले मामले में बुधवार को पीड़ित सरकारी शिक्षक की पत्नी ने बुधवार को जिला पुलिस अधीक्षक टोंक को ज्ञापन सौंपकर न्याय को लेकर शेष तीन आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी को लेकर मांग की। अलीगढ़ थाने में दर्ज प्रकरण संख्या 151 / 2025 के ज्ञापन में बताया कि पुलिस ने सिर्फ अब तक एक आरोपी गिरफ्तार किया है, लेकिन तीन आरोपी अब तक भी खुलेआम घूम रहे हैं। जिसमें परिजनों का आरोप हैं कि अलीगढ़ थाना पुलिस आरोपी विजेन्द्र पुत्र रामलाल मीणा को बचाने का प्रयास कर रही हैं। प्रार्थिया ने पुलिस अधीक्षक को पेश किए गए ज्ञापन में बताया कि उसने 4 अक्टूबर 2025 को थाना अलीगढ़ में एक लिखित रिपोर्ट पेश की थी, जिस पर पुलिस ने रिपोर्ट लेने से इनकार किया गया। बाद में मामला मीडिया सहित पुलिस अधिकारियों तक पहुंचने पर एक दिन की देरी से 5 अक्टूबर को उक्त रिपोर्ट पर प्रकरण संख्या 151 / 2025 दर्ज की गई, जिसमें पुलिस ने अब तक सिर्फ एक आरोपी राकेश पुत्र कन्हैयालाल मीणा निवासी अलीमपुरा को गिरफ्तार किया जाकर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भिजवाया है, जबकि अन्य आरोपी साँवलराम पुत्र रामनिवास मीणा निवासी बराना, धारासिंह पुत्र रामसहाय मीणा निवासी बराना तथा
विजेंद्र पुत्र रामलाल मीणा निवासी अलीमपुरा को अब तक भी गिरफ्तार नहीं किया गया हैं। परिजनों का आरोप है कि अलीगढ़ थाने के पूर्व जांच अधिकारी हैड कांस्टेबल भंवरलाल मीणा व वर्तमान अनुसंधान अधिकारी थाना प्रभारी पवन कुमार चौधरी जो कि आरोपी विजेंद्र मीणा से मिले हुए हैं और प्रकरण से आरोपी का नाम हटाने का प्रयास कर रहे है। आरोप के अनुसार विजेंद्र अपने ही गांव में खुलेआम घूम रहा है और पीड़िता को धमकियाँ दे रहा है कि पुलिस मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी और तेरा भी तुम्हारे पति जैसा हाल कर दूंगा।
——– प्रकरण का पूरा घटनाक्रम ——
प्रार्थीया का पति पीड़ित शिक्षक 4 अक्टूबर की सुबह नग्न व गम्भीर घायल अवस्था में बराणा गांव के श्मशान घाट में ग्रामीणों को बेसुध मिला था। पीड़िता के अनुसार उसका पति, जो कि पास ही के गांव बराणा गांव की सरकारी स्कूल में शिक्षक है, 3 अक्टूबर को वो स्कूल गया था, बाद में फोन करके वेतन और राशन सामग्री लेने पचाला गया था, लेकिन वापस घर नहीं लौटा था, जिसके साथ उक्त 4 नामजद आरोपियों ने जान से मारने का प्रयास कर संदिग्ध हालत में बराणा गांव के श्मशान घाट पर पटक दिया था, जो नग्न अवस्था में रातभर श्मशान घाट पर पड़ा रहा, 4 अक्टूबर की सुबह वह ग्रामीणों को नग्न और बेहोशी की हालत में मिला। ग्रामीणों ने ही परिजनों को सूचित किया था। उसकी बुलेट मोटरसाइकिल भी क्षतिग्रस्त अवस्था में पाई गई, जबकि मोबाइल फोन आज तक बरामद नहीं हुआ हैं। शिक्षक की हालत गंभीर होने पर परिजन उसे नजदीकी चौथ का बरवाड़ा अस्पताल वहां से सवाई माधोपुर ले गये, बाद में गम्भीर व नाजुक हालत होने पर महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर ले गये। जहां वह अब तक कोमा में भर्ती है और जीवन-मरण से संघर्ष कर रहा है। चिकित्सक की राय के अनुसार पीड़ित शिक्षक आज तक बोलने की स्थिति में नहीं है। जिसके प्रकरण में बयान भी लंबित हैं।
——– पहली बार 4 अक्टूबर को पुलिस ने रिपोर्ट लेने से किया था मना ——–
पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया कि तत्कालीन थाना इंचार्ज एएसआई बाबूलाल रैगर ने मामला दर्ज करने से मना कर दिया था।
बाद में पत्रकार और सरपंच संघ के पूर्व अध्यक्ष मुनीम मीणा द्वारा मामले में गम्भीरता दिखाने पर थानाधिकारी पवन कुमार चौधरी के हस्तक्षेप से दूसरे दिन 5 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई और जांच थाने के हैड कांस्टेबल भंवरलाल मीणा (158) को सौंपी गई। परिजनों का कहना है कि पहले तो जांच अधिकारी ने एक आरोपी से सांठगांठ कर उसका नाम प्रकरण से हटा दिया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक के आदेश पर जांच अधिकारी बदला गया और दूसरी बार जांच की जिम्मेदारी थानाधिकारी पवन कुमार चौधरी को दी गई।
——- जांच अधिकारी पर आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप ——-
परिवादिया का आरोप है कि वर्तमान जांच अधिकारी पवन कुमार चौधरी आरोपी पक्ष की मदद कर रहे हैं और उल्टा परिवादिया व उसके परिवारजनों पर दबाव बनाकर धमका रहे हैं। पूर्व जांच अधिकारी हैड कांस्टेबल भंवरलाल मीणा द्वारा भी आरोपियों को संरक्षण देकर एक आरोपी का नाम फाईल से काट दिया गया।
——- एसपी से आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी और निष्पक्ष जांच की मांग ——
परिवादिया ने ज्ञापन में मांग कि है कि सभी आरोपियों की मोबाईल लोकेशन और कॉल डिटेल निकलवाई जाए, साथ ही शेष तीनों आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर न्याय दिलाया जाए। पीड़ित परिजनों ने कहा कि “पीड़ित सरकारी शिक्षक की हालत गंभीर है, वह कोमा में बोलने की हालत में नहीं है, कभी भी कुछ भी हो सकता है। न्याय में देरी उनके लिए मानसिक और सामाजिक पीड़ा बढ़ा रही है।”
——- पीड़ित शिक्षक व परिवादी पत्नी को समय रहते न्याय नहीं मिला तो अलीगढ़ पुलिस के खिलाफ होगा आन्दोलन ——-
आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट लाखन सिंह मीणा ने बताया कि यदि अलीगढ़ थाना पुलिस उक्त गम्भीर प्रकरण में जांच अधिकारी द्वारा निष्पक्ष जांच व सभी शेष तीनों आरोपियों को आगामी सात दिन में गिरफ्तार नहीं किया गया तो जिला स्तर पर अलीगढ़ पुलिस के खिलाफ जन आन्दोलन किया जाएगा। साथ ही बताया कि अगर पीड़ित पक्ष व आन्दोलनकर्त्ताओं के साथ कुछ भी घटना घटित हुई तो उसकी समस्त जिम्मेदारी अलीगढ़ थाना पुलिस व जिला प्रशासन की होंगी।


