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जब तक हम अपनी आत्मा को पहचाने बिना धर्म के मार्ग पर नहीं बढ़ पाएंगे-पद्मकीर्तिजी म.सा.

महेन्द्र नागौरी
भीलवाडा|स्मार्ट हलचल|भीलवाड़ा में आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. की सुशिष्या वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने कहा कि जब तक हम अपनी आत्मा को नहीं पहचानेंगे, तब तक धर्म के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि आत्मा को पहचानने के लिए हमें बाहरी सुख सुविधाओं का त्याग कर अपनी आत्मा के चिंतन में लीन होना होगा। अनुष्ठान और मंत्रों की साधना हमें अपने आत्मस्वरूप को जानने और समझने में सहायक होते हैं।
महासाध्वी पद्मकीर्तिजी म.सा. के विचार:
आत्मा की पहचान: आत्मा को पहचानने से जीवन सफल हो जाता है।
धर्म की आराधना: धर्म की आराधना करने से आत्मा को पहचाना जा सकता है।
नवपद तप: नवपद तप की आराधना करने से अनंत कर्मों की निर्जरा होती है।
आयोजनों की जानकारी:
महामांगलिक: 2 अक्टूबर को महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. महामांगलिक प्रदान करेंगे।
नवपद आयम्बिल ओली आराधना: महासाध्वी मंडल के सानिध्य में नवपद आयम्बिल ओली आराधना जारी है।
रूप चतुर्दशी: 19 अक्टूबर को सजोड़ा जाप का आयोजन होगा।
ज्ञानपंचमी: 26 अक्टूबर को ज्ञानपंचमी पर्व मनाया जाएगा।
धर्मसभा में स्वर साम्राज्ञी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने प्रेरणादायी भजन की प्रस्तुति दी।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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