प्रयागराज यानी कि इलाहाबाद में कुंभ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. हर 12 साल में होने वाला ये कुंभ भक्तों के लिए और देश विदेश के साधु संतों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होता है. जिसमें शामिल होने पूरे देश से भक्त एक जगह जुटते हैं. विदेशों से भी बहुत से लोग यहां आते हैं. इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम पर होने वाले कुंभ मेले में आना और पवित्र नदियों में डुबकी लगाना हर भक्त के लिए पुण्य प्राप्त करने जैसा अनुभव होता है. करीब 65 साल पहले त्रिवेणी संगम पर आजाद भारत का पहला कुंभ आयोजित हुआ. चलिए आपको बताते हैं कैसा था उस कुंभ का नजारा.
ऐसा था आजाद भारत का पहला कुंभ
इंस्टाग्राम पर पंडित सूरज पांडे ने पहले कुंभ का वीडियो शेयर किया है. प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आजाद भारत में तब पहली बार कुंभ का आयोजन हुआ था. साल था 1954. इस साल कुंभ को सफल बनाने के लिए यूपी सरकार और भारत सरकार दोनों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. मेला का नजारा भी अद्भुत था. इस कुंभ मेले में शामिल होने के लिए कुछ अखाड़े हाथियों पर सवार होकर कुंभ में पहुंचे थे. मेले में करीब एक करोड़ भक्त जुटे थे. जिनके बीच हाथियों की सवारी शान से गुजर रही थी. सुरक्षा और व्यवस्था की कमान संभाल रही पुलिस घोड़ों पर सवार होकर मेले में गश्त कर रही थी
आजाद देश के पहले कुंभ में सबसे पहले किसने लगाई थी डुबकी
बता दें कि आजादी के पहले भारत अंग्रेजों के गुलाम था। उस समय अंग्रेजी हुकूमत कुंभ (Kumbh), अर्धकुंभ (Ardh Kumbh) और माघ मेले (Magh Meka) का आयोजन करती थी। बताया जाता है कि कुंभ मेले का प्रबंधन के लिए इंग्लैंड से अफसर बुलाए जाते थे। वहीं आजाद देश का पहला कुंभ साल 1954 में मनाया गया था। साल 1954 में होने वाले कुंभ मेले की तैयारी प्रदेश सरकार कुछ महीने पहले से ही शुरू कर दी थी। बता दें कि आजाद भारत के पहले कुंभ मेले में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आने से यह मेला यादगार बन गया था।
जानें 1954 में कुंभ मेले में हुई थी भगदड़
पंचांग के अनुसार, साल 1954 में भारत के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। इस साल कुंभ मेले में 3 फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मच गई थी। जिसमें कई श्रद्धालु घायल हो गए थे।
जानें पहले कुंभ में क्या-क्या हुई थी व्यवस्थाएं
बता दें कि आजाद भारत के पहले कुंभ मेले के शुरू होने से पहले सभी लोगों को टीकाकरण के लिए जागरूक किया गया। इसके बाद 250 मन कीटनाशक का छिड़काव किया गया। ताकि संक्रमण और बीमारियों से श्रद्धालुओं को बचाया जा सके। बता दें कि पहली बार कुंभ में एक हजार स्ट्रीट लाइट भी लगाई गई थी।
भूले-भटके को मिलाने और भीड़ को सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर लगाए गए थे। बता दें कि पहले कुंभ में श्रद्धालुओं और यात्रियों के लिए तंबुओं में सात अस्थाई अस्पताल बनाए गए थे। उस समय एंबुलेंस की भी व्यवस्था भी की गई थी। साल 1954 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने नाव और पैदल चलकर कुंभ की तैयारी भी की थी।