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सावन का राजा है घेवर, घेवर को सावन में खाए जाने का विशेष महत्व

घेवर एक स्वादिष्ट मिठाई है, जो सावन में खूब खाई जाती है। यह पारंपरिक मीठा कई त्योहारों से जुड़ा है। तीज और रक्षाबंधन पर इसे देने-लेने के काम भी लिया जाता है। यूं तो मिठाई को हेल्थ एक्सपर्ट अच्छा नहीं मानते हैं, मगर घी और मावा से बना घेवर आयुर्वेद में एक खास वजह से हेल्दी माना गया है। घेवर खाने से शरीर को कई सारे फायदे मिलते हैं, मगर इसे सही तरीके से खाना चाहिए।

आपने घेवर का नाम तो सुना होगा, जो राजस्थान की पारंपरिक मिठाई है। जो केवल एक विशेष त्योहार पर ही राजस्थानियों के घरों में लाई जाती है। इसके साथ ही बता दें कि वैसे तो आज के समय सभी चीजें सभी मौसम में प्राप्त हो जाती हैं। उसी तरह घेवर भी आज देश हर राज्य तक पहुंच गया है, लेकिन राजस्थान के घेवर का स्वाद है, वो अन्य किसी राज्य में कहां। घेवर राजस्थान की पारंपरिक मिठाई है, जिसको सावन के समय सबसे अधिक खाया जाता है। सावन में घेवर को खाए जाने के पीछे अनोखी और दिलचस्प वजह है।

घेवर की वैरायटी: आपने कई तरह के घेवर देखे होंगे, लेकिन तिवारी स्वीट्स के यहां एक घेवर ऐसा है, जिसका वजन 5 किलो है. इसका नाम बब्बर घेवर है. इसे ग्रहाकों की स्पेशल डिमांड पर बनाया जाता है. इसकी कीमत वजन पर निर्भर करती है. कई बार दुकान पर आने वाले लोगों को घेवर चखने का मन होता है, इसमें से उनकी डिमांड के अनुसार सर्व किया जाता है. इसके अलावा दुकान पर केसर घेवर, खोया घेवर और सादा घेवर भी मौजूद है. वहीं सबसे छोटे घेवर का वजन 250 ग्राम है. इसको कई आकारों में बनाया जाता है, जैसे हार्ट, सर्किल, स्क्वेर आदि.

मानसून में घेवर खाने के फायदे: मॉनसून में पेट से जुड़ी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है. आयुर्वेद के मुताबि‍क, इस दौरान दूध और दूध से बनी चीज़ों का सेवन ना करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में ये सभी तत्व घेवर में पाए जाते हैं. घेवर में भारी मात्रा में घी मौजूद होता है. घी का सेवन मॉनसून में फायदेमंद माना गया है. मॉनसून में घी खाने से इम्‍यून‍िटी बढ़ती है. ऐसे में इस मौसम में घेवर खाने के लिए पर्फेक्ट होता है.

मानसून में घेवर खाने के नुकसान: लोगों को ज्यादा मैदे वाले घेवर के सेवन से सावधान रहना चाहिए. क्योंकि मैदा को पचने में काफी समय लगता है, जिससे पेट में एसिडिटी होने की गुंजाइश बढ़ जाती है. इसके आलावा, ज्यादा मीठा घेवर खाने से कैलोरीज बढ़ सकती है. मधुमेह और हृदय सम्बन्धी मरीज़ों को डॉक्टर की सलाह से बाद ही घेवर खाना चाहिए.

घेवर राजस्थानियों के लिए भावना

राजस्थान की पारंपरिक मिठाई घेवर को सावन में खाए जाने का विशेष महत्व है। घेवर अन्य राज्यों के लिए केवल एक मिठाई है, लेकिन राजस्थानियों के लिए ये एक भावना है। जिस तरह त्योहार पर एक विशेष चीज का विशेष महत्व होता है, उसी तरह तीज और रक्षाबंधन पर घेवर का भी विशेष महत्व होता है। इन त्योहारों पर घेवर को लेकर राजस्थानियों की भावना भी जुड़ी हुई है।

घेवर के बिना अधूरा सिंजारा

राजस्थान में घेवर को प्यार का प्रतिक माना जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि सावन में बहनों को तीज के त्योहार पर सिंजारा भेजा जाता है। जिसमें सबसे मुख्य चीज घेवर होता है, घेवर के बिना सिंजारे को अधूरा माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योकि घेवर को राजस्थान में प्यार और एकता का प्रतीक माना जाता है।

क्यों खाते हैं सावन में घेवर

सावन का महिने में ही बारिश की शुरू होती है, जिससे मौसम में नमी बढ़ जाती है। हम सभी को पता ही है कि बारिश के समय खाने की चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं। लेक‍िन घेवर ही एक ऐसी मिठाई है, जिसका स्वाद नमी होने से और अधिक बढ़ता है। इसी वजह से सावन में घेवर को बनाया जाता है और खाया जाता है।

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