*जिला कलेक्टर के आदेशों की खुलेआम अवहेलना
*बसें बिना किसी वैध अनुमति के सवारियां भरी
(हरिप्रसाद शर्मा)
अजमेर/स्मार्ट हलचल|अजमेर जिला कलेक्टर के आदेशों की खुलेआम अवहेलना करते हुए अजमेर के केंद्रीय रोडवेज बस स्टैंड के सामने वीआईपी मार्ग पर धड़ल्ले से प्राइवेट बसों का संचालन जारी है। ये बसें बिना किसी वैध अनुमति के सवारियां भर रही हैं और सीधे सड़क से रवाना हो रही हैं। इससे एक ओर जहां शहर की यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है, वहीं रोडवेज को प्रतिदिन हजारों रुपये का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।
*स्थानीय लोगों और रोडवेज अधिकारियों के अनुसार, जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में इस अवैध संचालन पर रोक के लिए आदेश जारी किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर उन आदेशों का कोई असर नजर नहीं आ रहा। बस स्टैंड के सामने हर दिन दर्जनों प्राइवेट बसें खुलेआम खड़ी होती हैं और वहीं से सवारी भरती हैं। यह क्षेत्र शहर के सबसे संवेदनशील और वीआईपी इलाकों में शामिल है, जहां पास में ही कलेक्ट्रेट, कोर्ट और एसपी कार्यालय जैसे महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान स्थित हैं।
यातायात पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासन की उदासीनता इस समस्या को और बढ़ा रही है। हैरानी की बात यह है कि बस स्टैंड के पास ही ट्रैफिक पुलिस बूथ मौजूद है, बावजूद इसके अवैध बस संचालन बेरोकटोक जारी है। इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या संबंधित अधिकारियों को ऊपर से कोई सख्त निर्देश नहीं मिले हैं या फिर जानबूझकर लापरवाही बरती जा रही है।
*रोडवेज को हो रहा भारी नुकसान
रोडवेज विभाग का कहना है कि अवैध प्राइवेट बसें सीधे उनकी आमदनी पर असर डाल रही हैं। यात्रियों को तत्काल सीट और सस्ती कीमत का लालच देकर ये बसें आकर्षित कर रही हैं, जिससे रोडवेज की बसों में यात्री घटते जा रहे हैं। इससे न केवल राजस्व प्रभावित हो रहा है बल्कि विभागीय संचालन भी कठिन होता जा रहा है।
कई बार की गई शिकायतें, कार्रवाई नाकाफी
*स्थानीय लोगों और रोडवेज कर्मचारियों ने इस मुद्दे को कई बार प्रशासन और पुलिस के संज्ञान में लाया है। कुछ समय पहले प्रशासन द्वारा कुछ बसों पर चालान भी किए गए थे, लेकिन ये कार्रवाई भी अस्थायी साबित हुई। जैसे ही निगरानी ढीली पड़ती है, प्राइवेट बसें दोबारा अवैध संचालन शुरू कर देती हैं।
*स्थायी समाधान की मांग
स्थानीय लोगों और रोडवेज कर्मचारियों ने जिला कलेक्टर और यातायात विभाग से मांग की है कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। साथ ही उन्होंने मांग की कि जो अधिकारी इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं, उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाए। यदि समय रहते