(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
वाराणसी। स्मार्ट हलचल|पूर्वांचल का सबसे बड़ा सरकारी चिकित्सा केंद्र बीएचयू का सर सुंदरलाल अस्पताल अब मरीजों की जेब पर अतिरिक्त भार डालने जा रहा है। अस्पताल प्रशासन ने ओपीडी की फीस को 30 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये करने का फैसला किया है। नई दरें 20 नवंबर से लागू होंगी। रोजाना हजारों मरीजों की भीड़ के बीच यह फैसला चर्चा का विषय बन गया है।
बीएचयू में प्रतिदिन यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और नेपाल तक से 6000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसी भारी संख्या और काउंटर नंबर 101 पर लगने वाली लंबी लाइनों को देखते हुए प्रशासन ने यह संशोधन किया है। फीस बढ़ाने की अधिसूचना 18 नवंबर को चिकित्साधीक्षक कार्यालय की ओर से जारी की गई, जिस पर सहायक कुलसचिव व प्रशासनिक अधिकारी विश्वजीत साहा के हस्ताक्षर हैं।
अस्पताल प्रशासन का दावा है कि ओपीडी फीस बढ़ाना जरूरी था क्योंकि अस्पताल अब मरीजों को नया, अधिक विस्तृत और सुविधाजनक पर्चा देने जा रहा है। पहले जहां पर्चा सिर्फ 4 पेज का होता था, अब इसे 28 पेज की बुकलेट के रूप में दिया जाएगा। इस बुकलेट में मरीज का पूरा मेडिकल इतिहास—जांच, दवाइयाँ, सलाह, फॉलोअप—सब कुछ दर्ज होगा, जिससे डॉक्टर को इलाज जारी रखने में आसानी होगी।
इसके अलावा पर्चे की वैधता 6 महीने से बढ़ाकर 1 साल कर दी गई है। यह बदलाव खासकर उन मरीजों के लिए राहत बनकर आया है, जो दूर-दराज़ क्षेत्रों से इलाज के लिए आते हैं और हर बार पर्चा कटवाने में समय व पैसा दोनों खर्च होता था।
लेकिन फीस बढ़ने से मरीजों में नाराज़गी भी साफ देखने को मिल रही है। 2021 में ओपीडी फीस को 20 रुपये से 30 रुपये किया गया था, और अब तीन साल बाद एक बार फिर 20 रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर दी गई है। गरीब मरीजों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में ही अगर इलाज महंगा होने लगे तो उनके पास विकल्प क्या बचेगा?
दूसरी ओर, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह बढ़ी हुई राशि अस्पताल में सुविधाएँ सुधारने, रिकॉर्ड प्रबंधन, और ओपीडी संचालन को सुचारु बनाने में खर्च की जाएगी। बढ़ती भीड़ के कारण पर्चा कटवाने में ही आधा दिन लग जाता था, जिसे अब बुकलेट सिस्टम और बेहतर प्रबंधन के जरिए सुधारने की कोशिश की जा रही है।
बीएचयू अस्पताल की पहचान हमेशा से कम खर्च में बेहतर चिकित्सा के रूप में रही है, लेकिन लगातार बढ़ती भीड़ और सुविधाओं पर दबाव ने ऐसे निर्णयों को जन्म दिया है। मरीजों की मांग है कि जब फीस बढ़ाई जा रही है तो अस्पताल में डॉक्टरों की उपलब्धता, सफाई व्यवस्था, जांच रिपोर्ट की समयबद्धता और दवा वितरण में भी सुधार होना चाहिए।
नई फीस और नए पर्चा सिस्टम को लेकर पूरे पूर्वांचल में चर्चा तेज है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बढ़ी फीस का असर मरीजों पर कितना पड़ता है और अस्पताल प्रशासन अपने दावों को किस हद तक पूरा कर पाता है। फिलहाल, 20 नवंबर से नए शुल्क के साथ नई बुकलेट प्रणाली लागू हो जाएगी।


