मुकेश खटीक
भीलवाड़ा।जनपथ मार्ग स्थित अंबेडकर भवन में रविवार को तृतीय राष्ट्रीय गो सेवा शिखर सम्मेलन का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।इस सम्मेलन में देशभर से आए गौसेवकों,समाजसेवियों व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।कार्यक्रम में उन गौसेवकों को सम्मानित किया गया जिन्होंने गो संरक्षण,गो संवर्धन व गो आधारित नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय गो सेवा संयोजक अजीत महापात्रा थे,जबकि विशिष्ट अतिथि विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख हुकमीचंद सांखला रहे।मंच पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं जीसीसीआई के संस्थापक अध्यक्ष डॉ.वल्लभभाई कथेरिया ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।अपने संबोधन में हुकमीचंद सांखला ने कहा कि देशी गाय केवल एक पशु नहीं,बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन जीवनशैली की आत्मा है। देवता और राक्षस हमारे मन में ही विद्यमान हैं यदि हमें देवत्व की ओर बढ़ना है तो देशी गाय का दूध,दही,घी,गोबर और गोमूत्र को अपने जीवन में अपनाना होगा।वहीं अजीत महापात्रा ने कहा कि हर भारतीय का यह कर्तव्य है कि वह गाय, गंगा,गांव और गायत्री की रक्षा के लिए समर्पित रहे। गोमाता का संरक्षण केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं बल्कि पर्यावरण,अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता से जुड़ा राष्ट्रीय अभियान है।डॉ.वल्लभभाई कथेरिया ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत में बेरोजगारी का समाधान भी गाय के माध्यम से संभव है।गौ आधारित उद्योगों और उत्पादों को प्रोत्साहन देकर गांवों में आत्मनिर्भरता लाई जा सकती है।गाय मनुष्य की सबसे निकटतम प्राणी हैं,यह केवल दूध देने वाली नहीं बल्कि समाज को जोड़ने वाली शक्ति है।कार्यक्रम में मंगरोप निवासी राघव सोमानी को उत्कृष्ट गोसेवा कार्य के लिए सम्मानित किया गया।इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि यदि प्रत्येक राज्य में ऐसे पांच समर्पित कार्यकर्ता भी तैयार हो जाएं तो गोमाता को सर्वोच्च सम्मान दिलाने से कोई नहीं रोक सकता।सम्मेलन में विदेशों से भी कई प्रतिनिधि एवं मेहमान उपस्थित रहे, जिन्होंने गोबर व गौ उत्पादों पर आधारित नवाचारों की सराहना की। कार्यक्रम के समापन पर राघव सोमानी ने सभी आगंतुकों,अतिथियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया।इस राष्ट्रीय सम्मेलन ने यह संदेश दिया कि भारत के आर्थिक,सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान में गोसेवा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और यदि समाज संगठित होकर आगे बढ़े तो गौ,ग्राम और गंगा का स्वर्ण युग पुनः लौट सकता है।


