कोटा। स्मार्ट हलचल|विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर इन दिनों अध्यात्म, साधना और आत्मचिंतन का केंद्र बना हुआ है। गौरवाध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि परम पूज्य आचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज एवं आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य तथा गणिनी प्रमुख आर्यिका श्री 105 विभाश्री माताजी एवं आर्यिका श्री 105 विनयश्री माताजी (संघ सहित) के निर्देशन में 13 पिच्छियों का चातुर्मास उत्सव धार्मिक गरिमा एवं अनुशासन के साथ निरंतर जारी है।
महामंत्री अनिल ठोरा ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकुमचंद सावला रविवार को विज्ञान नगर पधारे और माताजी से स्वतंत्रता आंदोलन में जैन समाज के योगदान एवं स्वतंत्रता सेनानियों पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर चातुर्मास समिति द्वारा सावला का स्वागत किया गया।
अपने मंगल प्रवचन में गणिनी प्रमुख विभाश्री माताजी ने कहा कि मनुष्य निरंतर सुख की आकांक्षा करता है, किंतु संसार में जो सुख दिखाई देता है, वह क्षणिक और आसक्तिपूर्ण होता है। उन्होंने कहा—
“इच्छाओं की पूर्ति से कभी स्थायी संतोष नहीं मिलता। एक इच्छा पूरी होगी तो दूसरी जन्म ले लेगी। इच्छाओं की श्रृंखला अनंत है, परंतु जो व्यक्ति इच्छाओं का त्याग कर संयमित जीवन जीता है, वही सच्चे सुख का अधिकारी बनता है।”
माताजी ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि किसी को सोना-चांदी, संपत्ति अथवा वैभव प्राप्त भी हो जाए, तो भी तृष्णा शांत नहीं होती। भौतिक सुख अंततः दुख का ही कारण बनते हैं। उन्होंने कहा—
“सच्चा सुख संयम में है, इच्छाओं की दौड़ में नहीं।”
माताजी ने यह भी कहा कि आज का मनुष्य मोह और लोभ में इतना उलझ गया है कि आत्मिक शांति का मूल्य ही भूल गया है। संतोष, संयम और साधना के मार्ग पर चलकर ही वास्तविक आनंद की प्राप्ति संभव है।
इस अवसर पर चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन एवं शास्त्र भेंट जैसे धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। कार्याध्यक्ष मनोज जैसवाल ने बताया कि कार्यक्रम का पुण्यार्जन कन्हैया लाल, भूपेंद्र कुमार, सुरेश जैन, मुकेश जैन (शक्कर वाले), विज्ञान नगर, कोटा वालों को प्राप्त हुआ।
मुख्य संयोजक रितेश सेठी ने जानकारी दी कि कार्यक्रम में समाज संरक्षक राजमल पाटौदी, संजय गोधा, सीताराम अग्रवाल, चंद्रप्रकाश कोटिया, त्रिलोक डूंगरवाल, जे.के. जैन, मनोज जैसवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।


