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सिटी पैलेस से पथराव में 5 घायल,विश्वराज सिंह ने उदयपुर के शाही महल ‘सिटी पैलेस’ में घुसने की कोशिश की,महल के दरवाजे अरविन्द सिंह मेवाड़ ने बंद करवा दिए

Udaipur’s Royal Palace City Palace Stoned….उदयपुर के पूर्व राजघराने के लिए महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ का सोमवार (25 नवम्बर, 2024) को राजतिलक किया गया। इसे ‘दस्तूर’ कहा जाता है। इसके बाद विश्वराज सिंह ने उदयपुर के शाही महल ‘सिटी पैलेस’ में घुसने की कोशिश की। यहाँ वह एकलिंगजी मंदिर और धूणी पर जाकर दर्शन करना चाहते थे।

महल के दरवाजे उनके ही चाचा अरविन्द सिंह मेवाड़ ने बंद करवा दिए। उन्होंने अखबार में इश्तिहार देकर कहा कि यहाँ कोई नहीं घुस सकता है और इसके कानूनी कागज भी पेश कर दिए। जब विश्वराज सिंह और उनके समर्थकों ने महल में घुसने की कोशिश की तो पथराव हो गया।

पुलिस ने विश्वराज सिंह के समर्थकों को रोक दिया। इसके बाद प्रदर्शन भी हुआ। सोमवार शाम से लेकर मंगलवार रात तक स्थिति शाही झगड़े के कारण तनावपूर्ण रही। इस बीच विवादित जगहों को प्रशासन ने कानून व्यवस्था की दृष्टि से कुर्क भी कर ली है।

खून से राजतिलक, दस्तूर

सोमवार को विधायक और उदयपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक और गद्दी पर बिठाने की परंपरा निभाई गई। यह राजतिलक उनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ (10 नवम्बर, 2024) को हुई मृत्यु के बाद किया गया है।

बीजेपी विधायक विश्वराज का बयान

विवाद के दूसरे दिन नाथद्वारा से विधायक और पूर्व राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। उन्होंने समोर बाग में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिला प्रशासन दर्शन का भी इंतजाम नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि सिर्फ दर्शन करने की बात थी।

 मंशा  दर्शन की थी

विश्वराज सिंह मेवाड ने कहा कि वह अपनी राजशाही निर्वहन करने के लिए धूनी माता का दर्शन करने के लिए सिटी पैलेस जाना चाहते थे। लेकिन प्रशासन की ढिलाई के चलते में सिटी पैलेस के अंदर नहीं जा पाए, जबकि उनकी मंशा सिर्फ और सिर्फ दर्शन की थी। उन्होंने कहा कि सिटी पैलेस में और खास तौर पर धार्मिक स्थान पर जाने से किसी को नहीं रोका जा सकता। अपने परिवार की परंपरा का निर्वहन करते हुए दर्शन करना चाहते हैं। जो उनका रॉयल फैमिली के सदस्य होने के नाते पूरा हक बनता है।

रात को बवाल, सिटी पैलेस से पथराव में 5 घायल

चित्तौड़गढ़ में महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद सोमवार को विश्वराज सिंह मेवाड़ का तिलक दस्तूर कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इसके बाद देव दर्शन कार्यक्रम के तहत विश्वराज सिंह उदयपुर के सिटी पैलेस में धूणीमाता के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन सिटी पैलेस पर काबिज अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह के विरोध के बाद पुलिस ने बैरिकेडिंग करते हुए सिटी पैलेस को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर रखा था। शाम 5:30 बजे से रात 1:30 बजे तक दो अलग-अलग जगह पर चले हंगामा के बावजूद पुलिस और समर्थ को के बीच कई बार झड़प हुई। इस दौरान सिटी पैलेस की ओर से हुए पथराव से पांच लोग घायल भी हो गए।

महाराणा भगवत सिंह ने 1963 से 1983 तक राजघराने की कई प्रॉपर्टी को लीज पर दे दिया था। कुछ प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी बेच दी। इनमें लेक पैलेस, जग निवास, जग मंदिर, फतह प्रकाश, शिव निवास, गार्डन होटल, सिटी पैलेस म्यूजियम जैसी बेशकीमती प्रॉपर्टीज शामिल थीं। ये सभी प्रॉपर्टी राजघराने की ओर से स्थापित एक कंपनी को ट्रांसफर हो गई थीं। यहीं से विवाद शुरू हुआ। पिता के फैसले से नाराज होकर महेंद्रसिंह मेवाड़ ने 1983 में भगवत सिंह के खिलाफ न्यायालय में शरण ली। महेंद्र सिंह ने कोर्ट में कहा कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को सब में बराबर बांटा जाए।

दरअसल, रूल ऑफ प्राइमोजेनीचर आजादी के बाद लागू हुआ था, जिसका मतलब था कि जो परिवार का बड़ा बेटा होगा, वह राजा बनेगा। स्टेट की सारी संपत्ति उसी के पास होगी। अपने बेटे के केस फाइल करने से भगवत सिंह नाराज हो गए। महाराणा भगवत सिंह ने बेटे के केस पर कोर्ट में जवाब दिया कि इन सभी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं हो सकता। यह इंपोर्टेबल एस्टेट यानी अविभाजीय है। महाराणा भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपत्तियों का एग्जीक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ को बना दिया। 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया।
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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