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बेमौसम बारिश से किसानों की मेहनत पर पानी — खेतों में सूखने रखी मक्का फसल भीगी, बचाने के जतन नाकाफी

कहीं तिरपाल से ढकी, तो कहीं गोदामों में छिपाई उपज — सरसों की बुआई और गेहूं की तैयारी में भी देरी, किसानों ने मांगा उचित मुआवजा

“हाथ में आया निवाला छिन गया, राम तो रूठा राज न रूठे तो मिलेगी राहत” — हरनावदाशाहजी क्षेत्र के किसानों की बेबसी झलकी

संजय चौरसिया
हरनावदाशाहजी।स्मार्ट हलचल|क्षेत्र में सोमवार को हुई बेमौसम बारिश और मंगलवार व बुधवार दिनभर छाए रहे बादलों ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। खेतों में सूखने के लिए रखी मक्का की फसल भीग गई, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। कई किसानों ने अपनी उपज को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए — कहीं तिरपाल डालकर फसल ढकी गई, तो कहीं जल्दबाजी में गोदामों में रख दी गई, लेकिन लगातार नमी और धूप की कमी के कारण ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
किसानों ने बताया कि मक्का की कटाई पूरी हो चुकी थी और फसल खेतों में सुखाने के लिए रखी गई थी। इस बार अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, पर अचानक आई बारिश ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। खेतों में रखे मक्के के दाने भीग जाने से उनमें फफूंदी लगने और सड़ने का खतरा बढ़ गया है। कई जगहों पर किसानों ने बताया कि बारिश के पानी से खेतों में कीचड़ और दलदल बन गया है, जिससे फसल को निकालना भी मुश्किल हो गया है।
बारिश का असर सिर्फ मक्का तक सीमित नहीं रहा। खेतों में नमी बढ़ने से अब रबी सीजन की तैयारी पर भी सीधा असर पड़ा है। सरसों की बुआई में देरी होगी और गेहूं की तैयारी भी पिछडऩे लगी है। किसान चिंतित हैं कि अगर आने वाले दिनों में मौसम साफ नहीं हुआ, तो अगली फसल का पूरा चक्र प्रभावित हो जाएगा।
ग्राम हरनावदाशाहजी के एक किसान ने भंवरलाल ने भावुक होकर कहा — “मानो हाथ में आया निवाला छिन गया, अब बस सरकार से ही उम्मीद है। राम तो रूठा तो चल जाएगा, पर राज न रूठे तो मिलेगी राहत।”
युवा नेता अरबाज खान और किसानों ने प्रशासन और कृषि विभाग से मांग की है कि तत्काल फसल सर्वे करवाया जाए और उचित मुआवजा घोषित किया जाए, ताकि नुकसान की भरपाई हो सके और अगली बुवाई की तैयारी समय पर शुरू की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि अगर राहत नहीं मिली तो अगली फसल बोना मुश्किल होगा, जिससे कर्ज और आर्थिक संकट और बढ़ेगा।
इसी संबंध में छीपाबड़ौद तहसीलदार सुरेंद्र सिंह गुर्जर ने बताया कि हल्का पटवारी द्वारा फसल खराबे के मुआवजे के लिए किसानों के दस्तावेज जमा कराने शुरू कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि खेतों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी, ताकि पात्र किसानों को राहत राशि समय पर मिल सके।
ग्रामीणों ने बताया कि बारिश से पहले मौसम सामान्य था और मक्का की फसल पूरी तरह सूखने की स्थिति में थी। कई किसान मंडियों में बिक्री की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब उपज को बचाने की जद्दोजहद में लग गए हैं। खेतों में जगह-जगह तिरपाल बिछे हैं और फसल को ढककर किसी तरह सुरक्षित रखने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि फसल को ऊँचे स्थान पर रखकर ढकें, और जैसे ही धूप निकले, सुखाने की प्रक्रिया शुरू करें। किसानों ने सरकार से अपील की है कि प्रभावित क्षेत्रों में टीम भेजकर वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जाए, ताकि गरीब किसानों को राहत मिल सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि दीपावली के बाद इस बेमौसम बारिश ने पूरे क्षेत्र में मायूसी फैला दी है। खेतों में मेहनत, उम्मीद और खुशी — तीनों को मौसम की मार ने भिगो दिया है।
“किसान की हालत अब ऐसी हो गई है कि मेहनत से उगी फसल को आंखों के सामने खराब होते देख भी कुछ नहीं कर पा रहे। आसमान की ओर नज़रें टिकाए बस यही प्रार्थना है कि अब सूरज निकले, ताकि फसल बच सके।”

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स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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