*भारत में जितना तत्त्वज्ञान था, उतना विश्व के किसी भी देश में नहीं -बागडे़
*जो स्वदेशी राज्य होता है, वही सर्वोत्तम होता
(हरिप्रसाद शर्मा )
अजमेर/स्मार्ट हलचल/राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे़ ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती भारतीय राष्ट्रवाद की पुर्नस्थापना के महानायक थे। महर्षि दयानन्द को श्रद्धांजलि प्रदान करने की सार्थकता तभी है, जब हम महर्षि के चिन्तन के अनुसार आधुनिक भारत का निर्माण करें। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की और समाज से छुआछूत व भेदभाव को मिटाया। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया।
बागडे़ महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर शनिवार को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित ऋषि उद्यान में ऋषि मेले को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में व्याप्त रुढ़ियों-कुरीतियों के विरुद्ध सर्वप्रथम महर्षि दयानन्द ने ही शंखनाद किया था और अंधविश्वास तथा छुआछूत पर प्रहार किया था। प्रखर राष्ट्रभक्त ऋषि दयानन्द ने कहा था कि कोई कितना ही करे परन्तु जो स्वदेशी राज्य होता है, वही सर्वोत्तम होता है। ऋषि दयानन्द ने हमें स्वदेश, स्वभाषा, स्व-धर्म व स्व-संस्कृति पर गर्व करना सिखाया।
महर्षि दयानन्द ने वेदज्ञान का प्रचार व समाज उपकार करने के लिए परोपकारिणी सभा का निर्माण किया था और उसे अपनी उत्तराधिकारिणी बनाया था। उन्होंने कहा कि भारत में जितना तत्त्वज्ञान था, उतना विश्व के किसी भी देश में नहीं था। बख्तयार खिलजी आदि आक्रांताओं ने हमारे नालन्दा आदि कई विश्वविद्यालयों और लाखों ग्रन्थों को जलाकर नष्ट किया था। बागड़े ने गुजरत के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की बात का समर्थन करते हुए कहा कि रसायन व विष युक्त खेती से आज कैंसर और कई रोग तेज़ी से बढ़ रहे हैं । अत: गो आधारित प्राकृतिक कृषि ही हितकारी है।
राज्यपाल ने ऋषि उद्यान में चल रहे गुरुकुल व गोशाला के विस्तार के लिये राज्य सरकार से 50 बीघा जमीन आवंटन करवाने का आश्वासन दिया।
प्राचीन भारत के प्रत्येक गांव में गुरुकुल थे और सब स्त्री-पुरुषों को शिक्षा प्रदान की जाती थी। बाद में अंग्रेजों ने अंग्रेजी शिक्षा देने के नाम पर हजारों गुरुकुलों को ध्वस्त कर भारतीयों को शिक्षा से वंचित कर दिया। जिनका पुनरुत्थान महर्षि दयानन्द और आर्यसमाज ने किया।
परोपकारिणी सभा के प्रधान ओम मुनि ने स्वागत भाषण के दौरान कहा कि महर्षि दयानंद का कई बार अजमेर आगमन हुआ, जिसका शहर के वातावरण पर गहरा प्रभाव नजर आता है। आज हजारों आर्य समाज देश विदेश में वेद प्रचार का कार्य कर रहे हैं। देश को आर्य समाज का ऋण भूलना नहीं चाहिए।
हरियाणा सूचना आयुक्त कुलवीर छिकारा ने कहा कि अनेक ऋषि हुए हैं, महर्षि हुए हैं लेकिन समाज सुधारक महर्षि दयानंद हुए हैं। उनका चिंतन, उनके सिद्धांत, इस मायने में विशेष रूप से मुझे अपील करते हैं कि उनकी चीज साधारण दिखते हुए भी बहुत असाधारण थी। इस दौरान विधायक अनिता भदेल ने भी सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज के लिए महर्षि दयानन्द सरस्वती ने बहुत कुछ किया। वेदों का ज्ञान कराया। कार्यक्रम का समापन रविवार को होगा ।