♦बहुत जरूरत पर ही करें ऑपरेशन, दवाओं से भी ठीक हो जाते घुटना, गठिया के मरीज : डा.एके अग्रवाल
♦ उत्तर प्रदेश ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की वार्षिक संगोष्ठी में देश-विदेश के डॉक्टर को कानपुर के ए के अग्रवाल ने बताएं कब ,क्यों और कैसे करें ऑपरेशन
♦10 साल में 5 गुना बढ़ी गठिया और घुटना का ऑपरेशन प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों की संख्या
सुनील बाजपेई
कानपुर।स्मार्ट हलचल/अपंग होने की हद तक लगातार बढ़ती जा रही घुटनों और जोड़ों में दर्द यानी गठिया आदि की समस्या के खिलाफ चिकित्सा के नए-नए सफल प्रयोग भी लगातार किए जा रहे हैं लेकिन किसी भी प्रकार के आर्थिक लालच या फिर अति उत्साह में बगैर जरूरत के घुटनों का ऑपरेशन मृत्यु होने की हद तक हानिकारक भी साबित होता है। मतलब घुटनों का ऑपरेशन तभी किया जाना चाहिए जब ऐसा करने की बहुत जरूरत महसूस होती हो।
यह कहना है देश के जाने-माने अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ए के अग्रवाल का। कानपुर के अपने सत्या हॉस्पिटल बर्रा में लगभग 5000 से ज्यादा घुटना, गठिया के मरीजों को ऑपरेशन के बगैर दवाओं, इंजेक्शन के बल पर ठीक कर चुके डॉक्टर ए के अग्रवाल ने दावा किया कि चिकित्सा जगत ने जिस तरह की प्रगति की है और गहन अनुसंधानों से जो नतीजा निकला है, उसके मुताबिक बगैर ऑपरेशन के भी घुटनों और उसकी गठिया आदि की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
अपनी सफल चिकित्सा पद्धति से लोगों को रिकॉर्ड तोड़ संख्या में घुटनों की समस्या से निजात दिला चुके इस विधा के सर्वाधिक सफल चिकित्सकों में से एक ख्याति प्राप्त डॉक्टर ए के अग्रवाल ने बताया कि चिकित्सा की ऐसी भी बहुत सी पद्धतियां और दवाएं भी हैं ,जिनके प्रयोग से बगैर ऑपरेशन के ही घुटनों की समस्या से निजात दिलाई जा सकती है।
अवगत कराते चले कि घुटना प्रत्यारोपण में सफलता की अनेक नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले सुप्रसिद्ध डॉक्टर ए के अग्रवाल घुटनों की समस्या से निजात दिलाने से संबंधित अपने महत्वपूर्ण विचारों को प्रयागराज में हुई उत्तर प्रदेश ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन की वार्षिक अधिवेशन में भी साझा कर चुके हैं। इसमें देश विदेश के लगभग एक हजार चिकित्सक भी शामिल हुए थे। जहां उन्होंने विस्तार से बताया कि बहुत सारे घुटने के ऑपरेशंस, जहां पर जरूरत नहीं, वहां पर भी हो जाते हैं। हम चिकित्सकों इस बात का भी ध्यान रखना है कि जहां पर जरूरत हो वहीं पर ऑपरेशन करें।
उन्होंने बताया कि बहुत सारे गठिया के रोगी ऐसे भी होते हैं जिनको कि घुटना प्रत्यारोपण की आवश्यकता नहीं होती है। उनको दवाओं से ठीक किया जा सकता है। साथ ही एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन और कुछ अन्य विधियों से भी घुटनों की गठिया से काफी लंबे समय तक निजात पाया जा सकता है।
डॉक्टर अग्रवाल ने इस गोष्ठी में शामिल हुए विश्व भर के डॉक्टरों के समक्ष बीते 10 सालों में ऑपरेशन की संख्या 5 गुना बढ़ जाने के प्रति भी अपनी गहन चिंता जाहिर की और बताया कि ऑपरेशन कब और कैसे करना चाहिए।
आधुनिक सफल चिकित्सा पद्धतियों की विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए और अब तक हजारों लोगों को अपंग होने से बचाते हुए उन्हें सामान्य दिनचर्या का हिस्सा बनाने में सफल हो चुके प्रसिद्ध अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एके अग्रवाल ने यह भी दावा किया कि प्रत्यारोपण के पहले अन्य छोटे ऑपरेशन से भी घुटने की गठिया को परमानेंटली ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर को चाहिए कि वह ऐसी कोशिश अवश्य करें ,जिससे कम से कम इलाज और कम से कम ऑपरेशन की आवश्यकता पड़े ,जहां ऑपरेशन को बचाया जा सकता है। वहां बचाया भी अवश्य जाना चाहिए। ताकि मरीज स्वस्थ होकर चलकर अपनी दिनचर्या में वापस आ सके ।