Homeराजस्थानकोटा-बूंदीकोटा में वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान के तहत आयोजित संगोष्ठी

कोटा में वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान के तहत आयोजित संगोष्ठी

“आज पानी नहीं बचाओगे तो कल प्यासे ही मर जाओगे” – दुग्ध संघ में जल संरक्षण पर गहन चर्चा
जल के सदुपयोग को दे प्राथमिकता — अध्यक्ष चैनसिह राठौड़

कोटा।स्मार्ट हलचल|कोटा बूंदी जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के सरस सभागार में शनिवार को वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जल संरक्षण के विविध आयामों पर विस्तृत चर्चा की गई और उपस्थित जनों को जल बचाने की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के चेयरमैन चैनसिंह राठौड़ ने की। कार्यक्रम के दौरान अध्यक्ष चैनसिंह राठौड़ ने सभी उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को जल संरक्षण की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि संयम, मितव्ययता और सावधानी के साथ जल का उपयोग करना हमारा नैतिक दायित्व है। शपथ के दौरान सभी ने एक स्वर में जल बचाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित रखने का संकल्प लिया।संगोष्ठी का शुभारंभ पशुपालन विभाग, कोटा के अतिरिक्त निदेशक डॉ. गणेश नारायण दाधीच के प्रेरणास्पद उद्बोधन से हुआ।

जल के सदुपयोग को प्राथमिकता
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कोटा बूंदी दुग्ध सहकारी संघ के अध्यक्ष चैनसिंह राठौड़ ने अपने उद्बोधन में कहा कि जल हमारे जीवन की सबसे बुनियादी आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक गतिविधियों में जल के सदुपयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए।
राठौड़ ने आगे कहा, “पानी प्रकृति का अनमोल उपहार है और हमारी भावी पीढ़ियों के लिए इसका संरक्षण आज की सबसे बड़ी चुनौती है। ” उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से जल के मितव्ययी उपयोग का आग्रह किया।

जल की हर बूंद का महत्व
गोष्ठी का शुभारंभ अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग कोटा डॉ. गणेश नारायण दाधीच के उद्बोधन से हुआ। डॉ. दाधीच ने अपने विस्तृत संबोधन में जल संकट की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में पानी की बर्बादी रोकना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, “आज का दिन कल की तैयारी का दिन है। यदि हम आज जल संरक्षण के प्रति गंभीर नहीं होंगे तो आने वाली पीढ़ियों को भयंकर जल संकट का सामना करना पड़ेगा।” डॉ. दाधीच ने जल संरक्षण की तकनीकों पर भी विस्तार से चर्चा की और बताया कि कैसे छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े परिवर्तन लाए जा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हर बूंद का महत्व समझना होगा। जैसे एक-एक बूंद मिलकर सागर बनता है, वैसे ही हमारे छोटे-छोटे प्रयास मिलकर जल संरक्षण के बड़े अभियान को सफल बनाएंगे।” डॉ. दाधीच ने वर्षा जल संचयन, ड्रिप इरिगेशन और जल पुनर्चक्रण जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया।

स्लोगन और संदेश
सभागार में लगे बैनरों पर “आज पानी नहीं बचाओगे तो कल प्यासे ही मर जाओगे”, “हर कोई जल बचा सकता है, बूंद से सागर बना सकता है” और “जो गुजर गया उसे याद न करें, बेवजह पानी बर्बाद न करें” जैसे प्रेरणादायक स्लोगन लिखे हुए थे, जो उपस्थित लोगों को जल संरक्षण की दिशा में प्रेरित कर रहे थे।
जल संरक्षण की सामूहिक शपथ

यह रहे उपस्थित
इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में निरीक्षक देवास्थान विभाग बृजेश कुमार, आचार्य चेतन शर्मा, चिकित्सा अधिकारी डॉ. रंजन शर्मा, डेयरी लेखाधिकारी शीला शर्मा, मार्केटिंग अधिकारी फरीदा खान सहित दुग्ध संघ के कई वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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