भीलवाड़ा से भी कई वर्षीतप आराधक व सैकडो श्रावक श्राविकाओं ने लिया भाग
प्रवचन के बाद 60 तपस्वियों को इक्षुरस से पारणा कराया
भीलवाड़ा । पूज्य गुरुवर दीनदयाल धन्य धन्य गुरु अंबालाल, मेवाड़ की माटी को वंदन है, अंबेश गुरु को नमन है, एक दो तीन चार तपस्वी की जय जय कार ऐसे कई उदघोष लगाकर हजारों की संख्या में श्रावक झूम रहे थे। मौका था मेवाड़ उपप्रवर्तक कोमल मुनि मसा आदि ठाणा के सानिध्य मैं अंबेश दरबार में आयोजित अक्षय तृतीया पारणा महोत्सव का जिसमें भीलवाड़ा से भी कई वर्षीतप आराधक व सैकडो श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया।भीलवाड़ा से श्रीमती अलका मनीष बंब, श्रीमती लाड देवी, श्रीमती लक्ष्मी देवी कोठारी, श्रीमती तारादेवी डागलिया, अशोक जैन, श्रीमती मंजू जैन, श्रीमती सुशीला देवी नाहर, श्रीमती आशा गोखरू सहित देश भर के 60 वर्षीतप आराधक शामिल हुए।वर्षीतप की साधना पूर्ण होने पर प्रवचन के बाद 60 तपस्वियों को इक्षुरस से पारणा कराया गया। पारणा महोत्सव की शुरुआत प्रात वर्षीतप आराधक तपस्वियों के सम्मान में वरघोड़ा निकाले जाने के साथ हुई।
संघ अध्यक्ष राजमल मारू मंत्री महेश फाफरिया, कोषाध्यक्ष कोमल मारू ने बताया की मेवाड़ उपप्रवर्तक कोमल मुनि, उपप्रवर्तिनी विजयप्रभास मसा, पूज्या श्री एषणा आदि ठाणा का पावन सानिध्य भी मिला। श्री अंबेश सौभाग्य नवयुवक मंडल संयुक्त मेवाड़ के अध्यक्ष प्रमोद सिंघवी ने बताया कि अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर पारणा महोत्सव के दौरान मेवाड़ उपप्रवर्तक कोमल मुनि मसा के सानिध्य मैं मंडल कार्यकारिणी की शपथ ग्रहण कार्यक्रम हुआ जिसमें कार्यकारिणी सदस्यों को शपथ दिलाई गई।
प्रचार प्रसार मंत्री मनीष बंब ने बताया कि पारणा महोत्सव की शुरुआत प्रार्थना से प्रात 6:30 बजे, तपस्वी सम्मान वरघोड़ा प्रातः 8 बजे, ध्वजारोहण, स्वागत प्रातः 9 बजे, प्रवचन प्रातः 9:15 बजे, वर्षीतप अभिनंदन व पारणा प्रातः 10:30 बजे, गौतम प्रसादी प्रात 11:30 बजे आयोजित हुआ जिसमे हजारो की संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने भाग लिया।
कोमल मुनि मसा ने फरमाया की अक्षय तृतीया का प्रसंग भगवान ऋषभदेव को श्रेयांश कुमार द्वारा इक्षुरस से पारणा कराने से भी जुड़ा है. तपस्या को जैन धर्म साधना में अध्ययन महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। उपप्रवर्तिनी विजयप्रभा मसा, ऐशना मसा आदि ठाणा ने फरमाया की मोक्ष के चार मार्गो में तपस्या का स्थान कम महत्वपूर्ण नहीं है। तपस्या आत्मशोधन की महान प्रक्रिया है और इससे जन्म जन्मांतरों के कर्म आवरण समाप्त हो जाते हैं। इस दौरान कंवरलाल सूर्या, अनिल खटोड़, नवरतनमल, तनसुखलाल बंब, बबलू रांका, लक्ष्मीलाल, नरेंद्र सिसोदिया, कमलेश सिसोदिया आदि उपस्थित थे।