भीलवाड़ा ।राशमी मैं विराजित महासाध्वी विजयाप्रभा मसा के 33 वे वर्षीतप की अनुमोदना व भीलवाड़ा निवासी श्रीमती अलका बंब के प्रथम वर्षीतप पर चौबीसी कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम मै उपस्थित श्राविकाओं को महासाध्वी विजयप्रभा मसा ने फरमाया कि प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव परमात्मा को दीक्षा अंगीकार करने के बाद लाभांतराय कर्म का उदय होने से 400 दिन तक उन्हें निर्दोष भिक्षा की प्राप्ति नहीं हुई थी और इस कारण उन्होंने दीक्षा दिन से 400 निर्जल उपवास किये थे। उस तप की स्मृति में यह वर्षीतप (संवत्सर तप) किया जाता है। ऋषभदेव भगवान ने तो 400 उपवास एक साथ किये थे। परन्तु वर्तमान में संघयण बल का अभाव होने से 400 उपवास एक साथ संभव नहीं है। प्रभु महावीर के शासन में उत्कृष्ट तप 180 उपवास ही बतलाया है, इससे अधिक तप का निषेध है। अतः एकांतर उपवास कर 800 दिन में इस तप की समाप्ति की जाती है। इस दौरान एक दिन उपवास तथा एक दिन सिर्फ दो वक्त भोजन ग्रहण किया जाता है। यह क्रम 26 माह तक चलता है। मसा ने यह भी फरमाया की जैन धर्म में तपस्या का बड़ा महत्व है यह कर्म निर्जरा व मोक्ष मार्ग का हेतु है। इस दौरान विभिन्न प्रकार के तपो की जानकारी दी गई। महिला मंडल, बहू मंडल एवं तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओ ने तप की अनुमोदना के गीत गाए। लाभार्थी परिवार सुशील कुमार मुकेश कुमार अभिषेक कुमार डांगी रहे। तनसुखलाल, मनीष बंब, प्रमोद सिंघवी आदि ने साध्वीवृद्ध के दर्शन लाभ किए। कार्यक्रम मै रोशन देवी, मीना, रेखा, सुनीता, हीना, दिव्या डांगी आदि उपस्थित थे।