स्मार्ट हलचल/चौमहला/ग्राम पंचायत रावनगुराड़ी के गांव हड़मतिया रत्ना व हड़मतिया मेरा गांव में आजादी के 70 दशक बाद भी दोनो गांवो में शमशान जैसी मूलभूत सुविधा नही है जिस कारण बरसात के दिनों में भी खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करना पड़ता है। जिस कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। शनिवार को ऐसा ही मामला सामने आया की बरसते पानी में अंतिम संस्कार करना पड़ा।
ग्रामीणों का कहना है की केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दर्जनों जन कल्याणकारी योजनाएं चला रखी है जिसका लाभ दूरदराज क्षेत्रों के ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है ग्राम पंचायत रावणगुराड़ी के गांव हड़मतिया रत्ना व हड़मतिया मेरा गांव में आजादी के बाद से अब तक शमशान स्थल ( मुक्तिधाम) नही है जिस कारण हड़मतिया रत्ना गांव के लोग खेतो पर अंतिम संस्कार करते आ रहे है वही हड़मतिया मेरा गांव में नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया जा रहा है बरसात के दिनों में अंतिम संस्कार करने में काफी परेशानी होती है।
शनिवार को हड़मतिया रत्ना गांव में युवक मनोज शर्मा की मौत हो जाने में ग्रामीणों ने बरसते पानी में खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार किया इस दौरान उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ी। ग्रामीणों ने बताया दोनो गांवो में अभी तक शमशान की भूमि भी नही है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया लेकिन आज तक इसका समाधान नही पाया,सिर्फ आश्वासन मिलते रहे।
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हड़मतिया मेरा गांव में शमशान नही है जिस कारण नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया जाता है गांव में शमशान के लिए भूमि भी नही है भूमि एलाट करवा कर शमशान बनाया जावे
पुर सिंह निवासी हड़मतिया मेरा
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गांव में शमशान नही होने से बरसात के दिनों में परेशानी होती है इस समस्या के बारे में कई बार सरपंच को अवगत कराया लेकिन समाधान नही हो पाया।
गोपाल सिंह
निवासी हड़मतिया मेरा
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हड़मतिया रत्ना गांव में शमशान नही होने से बरसते पानी में अंतिम संस्कार करना पड़ता है,जिससे काफी परेशानी होती है
दिनेश कुमार शर्मा
निवासी हड़मतिया रत्ना
” गांव में शमशान बनाने के लिए कई बार प्रशासन को अवगत कराया लेकिन समाधान नही हुआ ,खेतो पर अंतिम संस्कार करने पड़ते है।
बने सिंह
निवासी हड़मतिया रत्ना
” दोनो गांवो में शमशान के लिए प्रस्ताव भिजवा रखे है स्वीकृति मिलने पर कार्य कराया जाएगा
विष्णु कुंवर
सरपंच ग्राम पंचायत रावणगुराड़ी