हरनावदाशाहजी क्षेत्र में साढ़े चार करोड़ की जल योजनाएं नाकाम — ग्रामीण तरस रहे पानी को, जलदाय विभाग का स्थानीय कार्यालय खोलने की उठी मांग
संजय चौरसिया
हरनावदाशाहजी स्मार्ट हलचल| हरनावदाशाहजी ग्राम पंचायत और उसके अधीनस्थ गांवों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है। रतनपुरिया बंजारा बस्ती जैसी कई आबादियों में आज भी लोग खेत से पानी लाने को मजबूर हैं, जबकि कागजों में हर घर नल से जल पहुँच चुका है।
सरकार द्वारा लगभग ₹4.50 करोड़ रुपए की लागत से जल जीवन मिशन के तहत गांव-गांव पाइपलाइन, नल कनेक्शन, कुएं और पानी की टंकी जैसे निर्माण कार्य करवाए गए, परंतु धरातल पर इनका कोई ठोस असर नहीं दिख रहा। हालात यह हैं कि गर्मी हो या बरसात — लोगों को पीने का पानी तक समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
रतनपुरिया बस्ती की हालत चिंताजनक
रतनपुरिया बंजारा बस्ती में जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाई गई, लेकिन पानी एक बार भी नलों से नहीं आया। बस्ती की महिलाएं आज भी बारिश के मौसम में कीचड़ भरे कच्चे रास्तों से होकर कई किलोमीटर दूर से सिर पर मटके में पानी लाकर लाती हैं। इस क्षेत्र में पेयजल योजना केवल नाम मात्र की रह गई है।
छीपाबड़ौद मार्ग स्थित टंकी और पांच कुएं भी बेअसर
जलदाय विभाग ने अटल सेवा केंद्र (छीपाबड़ौद मार्ग) के पास नई पानी की टंकी बनाई और पांच कुएं भी खोदे। लेकिन इनसे न तो नियमित जलापूर्ति हो रही है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है। टंकी तक पानी पहुँचाने के लिए आवश्यक मोटर और पाइपलाइन फिटिंग तक नहीं हुई।
लोगों की नाराजगी बढ़ी, भरोसा टूटा
ग्रामीणों का कहना है कि जल जीवन मिशन के नाम पर सिर्फ कागजों में काम हुआ है। फील्ड पर कोई निगरानी नहीं है, शिकायत करने जाएं तो अधिकारी दूर बैठे हैं। क्षेत्र में जलदाय विभाग का कोई स्थायी कार्यालय नहीं है, जिससे स्थानीय समस्याओं का समाधान बहुत कठिन हो जाता है।
जलदाय विभाग का स्थानीय कार्यालय खोलने की मांग तेज
इस बीच क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने एक सुर में मांग की है कि हरनावदाशाहजी में जलदाय विभाग का स्थायी कार्यालय (शाखा) खोला जाए। उनका कहना है कि जब समस्या यहीं है, तो समाधान भी यहीं होना चाहिए।
अब सवाल यह है —
> “जब साढ़े चार करोड़ खर्च हो चुके हैं, टंकी और कुएं बन चुके हैं, नल और पाइपलाइन लग चुकी है, तो फिर पानी क्यों नहीं आ रहा?”
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे धरना, प्रदर्शन व जल रोको आंदोलन जैसे कदम उठाने को मजबूर होंगे।
हरनावदाशाहजी क्षेत्र में जल जीवन मिशन की असफलता और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण लोग आज भी प्यासे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार न केवल योजनाओं की घोषणा करे, बल्कि उनकी जमीनी सच्चाई पर भी ध्यान दे।
फोटो कैप्शन:-
हरनावदाशाहजी क्षेत्र के रतनपुरिया बंजारा बस्ती मे खेत से पानी भरकर लाते हुए।
मांगीलाल बंजारा बोले — कभी पानी आया ही नहीं
बस्ती निवासी मांगीलाल बंजारा ने बताया:
> “नलों में तो कभी पानी आया ही नहीं। एक बार केवल लीकेज जांचने के लिए पानी टपका था, बस। अभी सब लोग खेत के कुओं से ही गंदा पानी भरकर ला रहे हैं। बीमार होने का डर तो रहता है, पर क्या करें — पानी तो पीना ही पड़ेगा!”
स्थानीय युवा नेता अरबाज खान ने कहा:
> “जब बारिश जैसे मौसम में ही बस्ती के लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा, तो गर्मियों में क्या उम्मीद की जा सकती है? यह प्रशासनिक लापरवाही की पराकाष्ठा है।”
उन्होंने कहा कि अब सिर्फ जवाब नहीं, जमीनी समाधान चाहिए।
एईएन रवि गुप्ता का बयान
छीपाबड़ौद जलदाय विभाग के एईएन रवि गुप्ता ने कहा:
> “पाइपलाइन की टेस्टिंग गर्मी से पहले हो चुकी थी। कुछ दिन सप्लाई भी हुई। एक माह से सप्लाई बंद है। कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन संवेदक को कह दिया गया है। कल ही जाकर दिखवाकर समाधान करवा दिया जाएगा।”