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विशेष पहचान : ‘पानी का फल’ सिंघाड़ा : भीलवाड़ा के गुरलाँ गांव के सिंघाड़े

पानी में तैरते खेत गुरलां के रणजीत सागर तालाब में हाे रही सिंघाड़े की खेती… 20 लाेगाें का अपना-अपना खेत‎

गुरला:-यह तस्वीर शहर से 18 किमी दूर नेशनल हाईवे 758 स्थित गुरलां के रणजीत सागर‎तालाब की है। पानी में तैरते यह‎ खेत सिंघाड़े के है। करीब 40‎ बीघा खेत है। इसमें इसमें कहार‎ परिवार के 15 से ज्यादा परिवार‎ है। जमीनी खेताें की तरह इसमें‎क्यारियां बनी हुई है। सीमा निर्धारण‎है। करीब 50 साल से ज्यादा‎समय इन्हें खेती करते हाे गया है।‎कभी भी खेत की सीमा काे लेकर‎विवाद नहीं हुअा। दीपावली के‎बाद से ही सिंघाड़े का सीजन शुरू‎हाेता है, जाे फरवरी तक रहता है।‎स्वाद में अलग पहचान बनाने‎वाले यह सिंघाड़े मध्यप्रदेश,‎गुजरात सहित दिल्ली तक भी जाते‎हैं। रोशन कहार ने बताया कि हर दिन‎यहां 25 क्विंटल से अधिक‎सिंघाड़े का उत्पादन हाेता है।‎ —— किसान ही नाविक, प्लेट कटाैरी‎काे बनाया पतवार… यहां किसान ही‎नाविक है। इसमें अधिकतर महिलाएं हैं। नाव‎में पतवार नहीं हाेती, इसकी जगह‎प्लेट-कटाैरी ली जाती है। नाव में इन्हीं प्लेट‎से पानी काे पीछे खींच कर नाव काे अागे‎बढ़ाया जाता है। पवन बताते है कि यहां पर‎18 से 20 नाव हैं। कच्चे हरे सिंघाड़े 60 से‎80 रुपए व पके काले सिंघाड़े 90 से 100‎रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रहे हैं।‎ हाईवे 758 पर कहार परिवार रोड़ के दोनों किनारे पर सिंघाड़े बेचते हुए नजर आते है ।

दुसरे जिले में भी होती है सप्लाई

यहाँ से होलसेल में 5 से 6 क्विंटल सिंघाड़े प्रतिदिन गाड़ी से कांकरोली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ तथा भीलवाड़ा जिले की कई मंडियो में पहुचाये जाते है। गणपत कहार ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर तालाब स्थित होने के कारण दिन भर यहां से गुजरने वाले वाहन चालक वाहन रोककर सिंघाड़े खरीदकर ले जाते है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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