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कम करना चाहते हैं हाई ब्लड प्रेशर का खतरा,डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का क्या संबंध है?

हाई ब्लड प्रेशर एक ऐसी स्थिति है जिसे हाइपरटेंशन कहा जाता है, जिसके दौरान धमनी का नॉर्मल ब्लड प्रेशर लेवल (120/80 mmHg) से हाई लेवल तक बढ़ जाता है. हाई ब्लड प्रेशर के सामान्य कारण या योगदान करने वाले जोखिम कारक मोटापा, आनुवंशिक कारक, अत्यधिक शराब पीना, हाई सोडियम का सेवन, एरोबिक व्यायाम की कमी, तनाव, बर्थ कंट्रोल गोलियां, दर्द निवारक, किडनी की बीमारी और एड्रेनल डिजीज हैंडाइट और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दें
उच्च रक्तचाप की समस्या से बचने के लिए आपको हेल्दी और बैलेंस्ड डाइट प्लान को फॉलो करने की कोशिश करनी चाहिए। पोषक तत्वों से भरपूर फल-सब्जियां खाएं और फास्ट फूड्स-तले और भुने खाने से दूरी बनाएं। इसके अलावा आपको अपने डेली रूटीन में किसी न किसी फिजिकल एक्टिविटी में जरूर इन्वॉल्व होना चाहिए। वॉकिंग, साइकिलिंग या फिर स्विमिंग जैसी किसी भी फिजिकल एक्टिविटी को डेली रूटीन में शामिल करके ब्लड प्रेशर के खतरे को कम किया जा सकता है।

स्ट्रेस मैनेज करना सीखें
अगर आप हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचना चाहते हैं, तो आपको स्ट्रेस को मैनेज करना सीखना होगा। योग, मेडिटेशन या फिर डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद से तनाव पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। हाई बीपी से बचने के लिए और दिल की सेहत को मजबूत बनाए रखने के लिए शराब या फिर सिगरेट पीने की आदत को छोड़ देने में ही समझदारी है।

गौर करने वाली बात
आपको रेगुलरली अपने ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करते रहना चाहिए, खासकर जिनके परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास है। डॉक्टर्स के मुताबिक अगर रीडिंग सामान्य यानी 120/80 mmHg से कम है, तो बीपी को साल में कम से कम एक बार मेजर किया जाना चाहिए। वहीं, अगर रीडिंग थोड़ी बढ़ी हुई यानी 120-129/<80 mmHg या 130/80 mmHg या उससे ज्यादा है, तो अधिक बार ब्लड प्रेशर को मेजर करने की आवश्यकता हो सकती है।

डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का क्या संबंध है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर, ये दोनों बीमारियां दुनियाभर में करोड़ों लोगों को प्रभावित कर रही हैं। आमतौर पर ये दोनों स्थितियां अलग लग सकती हैं, लेकिन कई अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि इनके बीच गहरा संबंध है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर एक साथ होना कई गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, टाइप-2 डायबिटीज वाले मरीजों में आमतौर पर इंसुलिन रेजिस्टेंस की दिक्कत देखी जाती है। इंसुलिन रेजिस्टेंस वह स्थिति है जिसमें आपका शरीर इंसुलिन हार्मोन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है। ये हार्मोन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस होने के कारण ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा हुआ रहता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण शरीर में ग्लूकोज के साथ-साथ सोडियम और पानी का भी रिटेंशन बढ़ जाता है, जिससे ब्लड प्रेशर होने का खतरा हो सकता है।

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