वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को संसद के निचले सदन (लोकसभा) में पेश हुआ. इस पर विपक्ष का हंगामा जारी है. विपक्ष ने इसे असंवैधानिक करार दिया है. सत्ता पक्ष ने काउंटर अटैक करते हुए विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा और सरकार के जवाबों के बीच बड़ी जानकारी सामने आई है. वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए संसद की मंजूरी लेने का प्रस्ताव भी लोकसभा में लाया जाएगा. इस पर एक घंटे तक चर्चा होने की संभावना है, जिसका गृह मंत्री अमित शाह जवाब देंगे.
राज्यसभा में इस पर गुरुवार को चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों सदनों में प्रस्तावित कानून पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे आवंटित किए गए हैं।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाद चार सबसे बड़े घटकों- तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल-यूनाइटेड (जदयू), शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)- ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है।
खबरों के मुताबिक, बीजेपी के कुछ सहयोगी दल विधेयक में और बदलाव की मांग कर रहे हैं। बीजेपी के एक सहयोगी दल के वरिष्ठ सदस्य ने उम्मीद जताई कि बीजेपी उनके विचारों को ध्यान में रखेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी कुछ चिंताओं का निदान संसद की संयुक्त समिति ने की है और राजग इस मुद्दे पर एकजुट रहेगा।
केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है।
बैठक में विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के प्रारंभिक संकेत तब दिखाई दिए जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया।
लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि उनकी आवाज को सुना नहीं जा रहा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल चर्चा के लिए और अधिक समय आवंटित करने की मांग कर रहे थे और चाहते थे कि सदन में मणिपुर की स्थिति और मतदाता पहचान पत्र से जुड़े विवाद जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो।