ओम जैन
————————————
स्मार्ट हलचल|आज के बच्चे हो या अभिभावक सभी ढूंढ रहे है शिक्षा कहा मिलेगी, क्योकि स्कूलों में तो जूते, कपड़े, किताबे कॉपी टाई बेल्ट मिलते है, शिक्षा का मंदिर कहलाने वाला विद्यालय तो अब दुकान बन गया है, जहा शिक्षा को छोड़कर यह सब मिलता है, देश मे बिगड़ते शिक्षा के हालात पर कोई नही बोलेगा, कोई संसद या विधानसभा में यह आवाज नही उठाएगा की स्कूलों में सिर्फ शिक्षा मिले, क्योकि यह सब तो बाजार में भी मिल जाएगा, शिक्षा के लिए विद्यालय आते है बच्चे ना कि ये सामग्री खरीदने।
फीस में तो जैसे होड़ मची है जो जितनी ज्यादा फीस लेगा वो उतना बढ़िया स्कूल, लेकिन इस सब पर संसद और विधानसभा मोन रहती है, क्योकि अंग्रेजो से हमारे देश के इन नेताओ ने यह तो सीखा है कि इन गरीबो के बच्चो को अनपढ़ ही रहने दो अगर यह पढ़ लिख लिए तो हमारा क्या होगा, बस उसी महान रास्ते पर आज हमारे देश के “जन” प्रतिनिधि चल रहे है जो कहने को तो जन प्रतिनिधि यानी जनता के प्रतिनिधि लेकिन ये जनता का नही प्राइवेट स्कूलों का प्रतिनिधित्व जरूर अच्छे से कर लेते है क्योंकि इनको इन स्कूलों से खूब सम्मान सत्कार और पुरुस्कार मिलता है फिर ये जनता की आवाज क्यो बनेंगे, जनता से तो इन्हें शुरू से गालियां ही मिलती रही है ना, चाहे हमारा देश कितना ही आगे बढ़ जाए लेकिन जब तक देश मे शिक्षा प्रणाली सही नही होगी जब तक देश का बच्चा बच्चा शिक्षित नही होगा देश सही मायने में आगे नही बढ़ सकता। देश को आगे देश का पढ़ा लिखा युवा ही बढ़ा सकता है, बाकी ये नेता तो देश को शुरू से ही पीछे धकेलते आये है और आगे भी यही करेंगे। देश मे बेरोजगारी का सबसे मुख्य कारण शिक्षा का अभाव है लेकिन हमारे देश के महान नेता मुफ्त में बांट देंगे लेकिन शिक्षित नही होने देंगे तभी तो आज भी देश का भविष्य बच्चा ओर युवा यह ढूंढ रहा कि “शिक्षा कहा मिलेगी।”


