कौन है ‘भारत माता’ और क्या है ‘भारत माता की जय’ का असली मतलब,आजादी की लड़ाई से है भारत माता की तस्वीर का नाता🚩🚩
साडी़ पहनकर हाथों में तिरंगा लिए आपने किताबों या इंटरनेट पर भारत माता की फोटो देखी होगी या फिर आजादी के इतिहास की किताबों में‘ भारत माता कि जय’ के नारा पढ़ा होगा। यह नारा लाखों लोगों में जोश भर देता है, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि आखिर पेंटिंग में नजर आने वाली भारत माता कौन हैं?
आज के आर्टिकल में हम आपको भारत माता और उनकी तस्वीर से जुडे़ इतिहास के बारे में बताएंगे, कि आखिर तस्विर में नजर आने वाली भारत माता कल्पना कब और कैसे हुई।
भारत की सबसे पहली तस्वीर बनाने का श्रेय अवनींद्रनाथ टैगोर को जाता है। इस वाटर कलर की तस्वीर में भारत माता भगवा रंग का बंगाली परिधान पहने नजर आईं थीं। इस तस्वीर में नजर आने वाली देवी को बंग देवी भी कहा गया, जिसके हाथ एक हाथ में किताब, धान की पुली, माला और सफेद वस्त्र था।
कलाकारों की कल्पना से मिले भारत मां के अलग-अलग रूप
इस तस्वीर के बाद तमाम कलाकारों ने अलग-अलग तरीकों से भारत माता की तस्वीर बनाई। कहीं उन्हें मां उन्हें मां दुर्गा का स्वरूप दिखाया गया तो कहीं उन्हें मां गंगा के रूप में चित्रित किया गया। आजादी की लड़ाई के दौरान सुब्रमण्यम भारती जी ने भारत माता की तस्वीर बनाई, जिसमें भारत मां को गंगा की धरती के तौर पर दर्शाया गया है। ज्यादातर तस्वीरों में भारत माता साड़ी पहने, हाथ में भगवा झंडा लिए शेर पर सवार रहतीं।
देश की आजादी के दौरान कई तरह की तस्वीरें सामने आई। जिसमें भारत माता के साथ देश के राजनीतिक लीडर भी नजर आए। इसके अलावा कई तस्वीरों में भारत माता हाथों में तिरंगा झंडा लिए नजर आईं।
साल 1936 में बना भारत मां का पहला मंदिर
भारत में साल 1936 में वाराणसी के काशी यूनिवर्सिटी में भारत माता के पहले मंदिर की स्थापना हुई। जिसे शिव प्रसाद गुप्ता ने बनवाया। मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद द्वारा भारत माता मंदिर की स्थापना की गई।तब से लेकर आज तक तस्वीरों में भारत माता को अलग-अलग तरह से दर्शाया गया।
बंगाल में मां दुर्गा की तर्ज पर भारत को कहा गया माता
स्वाधीनता संग्राम के दौरान दुर्गा पूजा के जरिए लोगों को एकजुट किया जाता था. इस दौरान आजादी पर चर्चा होती थी और स्वतंत्रता संग्राम पर चर्चा करने का यह एक बड़ा माध्यम था. इसमें बंगाल के लेखक और कवि भी आगे बढ़कर हिस्सा लेते थे. इसलिए वहां के लेखकों और कवियों पर दुर्गा माता का गहरा प्रभाव रहा. इनके लेखों, कविताओं और नाटकों में भारत देश को मां दुर्गा की तर्ज पर मां और मातृभूमि कहा जाने लगा.
आजादी की लड़ाई से है भारत माता की तस्वीर का नाता
आजकल भारत माता की जो तस्वीर सामने आती है, उसका नाता भी आजादी की लड़ाई से ही है. स्वाधीनता संग्राम के दौरान साल 1905 में बंगाल के कलाकार अवनींद्र नाथ टैगोर ने एक तस्वीर बनाई. इसे भारत माता की पहली तस्वीर माना जाता है. इसमें भारत माता बेहद सादे लिबास में थीं. उन्होंने जेवर आदि नहीं पहन रखे थे.
इस तरह से थी भारत माता की तस्वीर
इस तस्वीर में भारत माता के चार हाथ दर्शाए गए थे. इनमें से एक हाथ में उन्होंने गेहूं की बाली पकड़ रखी थी. उनके दूसरे हाथ में कपड़ा था. तीसरे हाथ में किताब और चौथे हाथ में माला दर्शाया गया था. इस तस्वीर का मतलब यह था कि माता अपने देश में रोटी, कपड़ा, शिक्षा और धर्म-कर्म स्थापित करें.
इस वाटर कलर की तस्वीर में भारत माता को भगवा रंग का बंगाली परिधान पहने दिखाया गया था. इस तस्वीर में नजर आने वाली देवी को बंग देवी भी कहा गया, जिसके भारत माता को बंग देवी भी कहा गया.
उस जमाने में भी यह तस्वीर घर-घर पहुंच गई थी. स्वाधीनता संग्राम में भागीदारी निभाने वाले क्रांतिकारी इसे हमेशा अपने पास रखते थे. हालांकि, यह तस्वीर तब अपने पास रखना खतरे का सबब माना जाता था. इसका कारण यह था कि भारत माता की तस्वीर अपने पास रखने वाले को क्रांतिकारी माना जाता था और किसी के पास महज यह तस्वीर मिलने पर अंग्रेज उसे पकड़ लेते थे.
आजादी के बाद तस्वीर में होते रहे बदलाव
देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली तो भारत माता की तस्वीर में बदलाव होते रहे. पहले भारत माता के चार हाथ थे तो वर्तमान की तस्वीरों में दो हाथ दर्शाए जाते हैं. इस तस्वीर में भारत माता के एक हाथ में झंडा और दूसरे में त्रिशूल दिखाया जाता है. उनके साथ शेर भी खड़ा रहता है. हालांकि, भारत माता की किसी तस्वीर में उनके हाथ में तिरंगा दर्शाया जाता है तो किसी तस्वीर में भगवा झंडा.