Homeसोचने वाली बात/ब्लॉगजाने संविधान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?

जाने संविधान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?


भारत का संविधान विश्व में सबसे बड़ा लिखित संविधान

 मदन मोहन भास्कर

प्रत्येक देश का अलग-अलग संविधान होता है और संविधान नियम और कानून की एक पुस्तक होती है जिसके आधार पर देश का शासन चलाया जाता है उसी प्रकार से भारत का अपना खुद का लिखा हुआ संविधान है। भारतीय संविधान के जनक डॉ भीमराव अंबेडकर को आजादी के बाद कानून मंत्री का पद दिया गया तथा उन्हें भारतीय संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनाया गया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया तथा प्रत्येक देश के संविधान से सभी वर्गों के नागरिकों के संपूर्ण विकास के लिए गुणवत्ता युक्त तत्वों को इकट्ठा करके भारतीय संविधान का निर्माण किया तथा उसे सरकार के सामने प्रस्तुत किया। भारतीय सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित भारतीय संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया।

संविधान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ?

भारत सरकार ने नवंबर 2015 में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इस संबंध में आधिकारिक राजपत्र की सूचना 19 नवंबर 2015 को जारी की गई थी। भारत का संविधान दिवस पहली बार 2015 में डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारत के नागरिकों में संविधान के प्रति जागरूक करने और संवैधानिक मूल्यों को याद दिलाने के लिए संविधान दिवस मनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया। जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को संविधान के बारे में जागरूक करना, उनके अधिकारों और उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाना, कोई किसी के साथ अन्याय नहीं कर सके, इस बात को सुनिश्चित करना, किसी के साथ जाति,धर्म,लिंग,संप्रदाय या किसी प्रकार से कोई भेदभाव नहीं करना,सभी को समान अधिकार दिलाकर गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई प्रकार के नए कानून बनाना ताकि उन्हें बुनियादी सुख-सुविधाओं मिल सके। संविधान की वजह से लोग गरीबों का शोषण नहीं कर पाते हैं। संविधान कमजोरों के हितो की रक्षा करती है,कोई कितना भी बड़ा या ताकतवर हो हर कोई संविधान से डरता है। संविधान समाज में संतुलन बनाता है, संविधान ही है जो एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार शोषितों के ढाल बनकर हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य जिम्मेदारियों को भी याद दिलाते हैं।

संविधान कितने समय में कैसे बना एवं कितना खर्चा आया

भारतीय संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। संविधान के आधार पर ही देश की संसद कानून बनाती है, जिससे देश की पूरी व्यवस्था चलती है। 26 नवंबर 1949 में बनकर तैयार हुए संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश को आजादी मिलने से पहले ही स्वतंत्रता सेनानियों ने इस बात पर चर्चा शुरू कर दी थी कि आजाद भारत का संविधान कैसा होगा। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के केंद्र हॉल में हुई थी। संविधान सभा की पहली बैठक में कुल 207 सदस्य शामिल थे। उसे समय संविधान को बनाने में लगभग करोड रुपए का खर्चा आया था।

हर जाति धर्म के हितों की रक्षा हो ऐसा विधान है,
सबको जोड़कर रखें ऐसा भारत का संविधान है।

संविधान की कैसी दिखती है मूल प्रति

संविधान की मूल प्रति 16 इंच चौड़ी 22 इंच लंबे चरम पत्र सीटों पर 251 पृष्ठ पांडुलिपि में लिखे गए हैं। संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी। यह बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है। इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था। संविधान की असली प्रतिज्ञा हिंदी और अंग्रेजी दो भाषाओं में लिखी गई थी। इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम से भरे डिब्बो में सुरक्षित रखा गया है। लोकतंत्र का सबसे बड़ा ग्रंथि संविधान है जिसने भी संविधान को पढ़ लिया वही विद्वान है।

भारतीय संविधान और संविधान मसौदा समिति के सदस्यों के जनक

डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है। भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए संविधान सभा द्वारा एक मसौदा समिति का गठन किया गया था। इस समिति में सात सदस्य शामिल थे जिनमें डॉ. भीमराव अंबेडकर, कन्हैयालाल मानेक लाल मुंशी, एन. गोपाल स्वामी अयंगार,बी. एल. मिटर, अल्लादी कृष्ण स्वामी अय्यर, मोहम्मद सादुल्लाह और डी. पी. खेतान शामिल थे। भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉक्टर अंबेडकर ही थे जिनको 1947 में भारतीय मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे। उन्होंने एक संविधान में काम आने वाली विभिन्न बातों को ध्यान में रखा। जो सभी के साथ समान व्यवहार करने और एक बेहतर राष्ट्र के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का उपदेश दिया।

भारत का संविधान विश्व में सबसे बड़ा लिखित संविधान

भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका,जर्मनी, आयरलैंड,ऑस्ट्रेलिया,कनाडा और जापान के संविधान से लिए गये हैं। इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारो,कर्तव्यों सरकार की भूमिका, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है। विधान पालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है, उनके देश को चलाने में क्या भूमिका है,इन सभी बातों का जिक्र संविधान में है। संविधान लागू होने के समय इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 12 भाग थे। जो वर्तमान में बढ़कर 448 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां और 25 भाग हो गए हैं। साथ ही इसमें पांच परिशिष्ट भी जोड़ दिए गए हैं, जो कि प्रारंभ में नहीं थे। हाथ से लिखे संविधान पर 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किये थे। जिसमें 15 महिलाएँ भी शामिल थी। दो दिन बाद 26 जनवरी से यह संविधान देश में लागू हो गया था। संविधान 25 भागों,470 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बटा भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

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