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यादों का झरोखा असंभव को संभव बनाने वाले फिल्मकार थे बी आर चोपड़ा,Window of memories B R Chopra

यादों का झरोखा
असंभव को संभव बनाने वाले फिल्मकार थे बी आर चोपड़ा
(मुकेश ‘कबीर’
स्मार्ट हलचल/बीआर चोपड़ा ऐसे फिल्मकार थे जिनका सिक्का बड़े और छोटे दोनों पर्दों पर चला,उनसे पहले सिर्फ रमेश सिप्पी और रामानंद सागर को ही यह गौरव प्राप्त हुआ। चोपड़ा जी भी सागर साहब की तरह ही टीवी पर आए, जैसे सागर साहब ने रामायण से पहले विक्रम बेताल बनाया वैसे ही चोपड़ा साहब ने महाभारत से पहले बहादुर शाह जफर बनाकर छोटे परदे का जायजा लिया फिर उसी टीम के साथ महाभारत बनाया जो आज तक का सबसे सफल सीरियल है। देवानंद की तरह बीआर चोपड़ा भी हाईली एजुकेटेड थे तभी उनकी फिल्मों में बौद्धिकता और सोशल मैसेज दिखाई देते थे,उनकी फिल्मों में कानून की भी अच्छी समीक्षा होती थी और वकील हीरो की तरह होते थे।उनकी फिल्मों में अदालत के सीन बहुत रोचक होते थे चाहे वक्त हो या इंसाफ का तराजू , हमराज या निकाह उनकी फिल्मों में कानून की आलोचना भरपूर रही है ,एक बार तो सही में भी उन्होंने मधुबाला पर कोर्ट केस ठोक दिया था जिसका परिणाम यह हुआ कि दिलीप कुमार और मधुबाला का रिश्ता शादी से पहले ही टूट गया। उनकी फिल्म में कचहरी व सस्पेंस होने के बाद भी गानों को खूब स्पेस मिलता था और बहुत अच्छा संगीत उनकी फिल्मों में होता था लेकिन उनकी शर्ते ऐसी होती थीं कि बड़े सिंगर्स उनसे दूर ही रहे इसलिए उन्होंने नए गायकों को मौके दिए। आशा भोंसले उन्ही की देन हैं और महेंद्र कपूर को भी रफी की जगह देने वाले चोपड़ा साहब ही थे। एक बार एक विदेशी फिल्मकार ने कहा कि भारत के फिल्मकार गानों के बिना सफल फिल्म नहीं बना सकते तब इसे एक चेलेंज समझकर चोपड़ा जी ने बिना गानों की एक बेहतरीन फिल्म बनाई इत्तेफाक, जो उस वक्त असंभव जैसा था लेकिन असंभव को संभव बनाने वाले ही थे बलदेव राज यानि बीआर चोपड़ा।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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