काछोला में बरसात की कामना से गांव बाहर भोजन का किया आयोजन,
भगवान इन्द्रदेव की पूजा-अर्चना की
काछोला 7 जुलाई – स्मार्ट हलचल/कस्बे में रविवार को गांव बाहर भोजन को लेकर खेतों पर भोजन तैयार करने के लिए बर्तन ले जाते बच्चे- युवा,कण्डों से भरी बोरी को साइकिल पर लाद कर जाते युवा, खेतों में भोजन तैयार करते हुए गीत गाती महिलाएं, आकाश की ओर उठता धुआं, खेतों का रास्ता पूछते अतिथि। लहरिए से सजी चहकती युवतियां, मोबाइल पर बतियाते युवा। गांव में सन्नाटा….यह दृश्य था रविवार को काछोला के गांव का।
जहां बारिश की कामना को लेकर भगवान इंद्रदेव की पूजा अर्चना को लेकर गांव बाहर भोजन का। इसमें बहन-बेटी सहित मित्र- रिश्तेदारों व सगे-सम्बन्धीयों के आने-जाने से मेला -सा माहौल देर शाम तक रहा।
वंश प्रदीप सिंह सोलंकी,कैलाश धाकड़ ने बताया कि कस्बे में रविवार को गांव-गांव में खेत बाहर रसोई का आयोजन किया गया । रसोई के रूप में दाल-बाटी व चूरमा बनाया तथा खेत में बिराजित देवी- देवता तथा इन्द्रदेव को धूप लगाकर भोग चढ़ाया। इसके बाद सभी ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन मेंं बहन – बेटी को भी आने का न्यौता दिया।
गांव बाहर रसोई का अर्थ है गांव के बाहर भोजन बन कर इन्द्रदेव की पूजा-अर्चना व भोग लगाना है। भारतीय कृषि बरसात पर निर्भर होने से भगवान इन्द्रदेव की गांव-गांव में पूजा-अर्चना व प्रार्थना करने की परम्परा वर्षों से चली आ रही है। बारिश अच्छी हो ताकि खेतों में अन्न तथा पीने को पानी हो सके। इसके लिए लोग इन्द्रदेव की पूजा-अर्चना व मनोकामना करते है। गांव के लोगों का विश्वास है कि गांव बाहर रसोई की रस्म करने के बाद वर्षा के देव भगवान इन्द्र देव प्रसन्न होकर बरसात करते हैं। ग्रामीण अंचल में आस्था के चलते बारिश में देर होने पर भी ग्रामीण इन्द्रदेव को प्रसन्न करने के लिए गांव बाहर रसोई करते हैं। इसको लेकर पहाड़ी पर स्तिथ, बावन माता जी मंदिर,चावंड माता मंदिर,द्वारिकाधीश मंदिर,तेजाजी मंदिर,रामदेव मंदिर,बालाजी मंदिर,गायत्री मंदिर, चारभुजा मंदिर ,देवनारायण मंदिर आदि धार्मिक स्थानों पर भगवान इंद्र देव को प्रसन्न करने हेतु भोग लगाया गया। इस अवसर पर वंश प्रदीप सिंह सोलंकी,सरपंच रामपाल बलाई,कैलाश धाकड़,पुजारी रामस्वरूप धाकड़,राजेन्द्र सिंह सोलंकी,डॉ एन के सोनी,भैरु लाल मंत्री,जगदीश मंत्री,मुरली मूंदड़ा,सहित आदि श्रद्धालुओ ने आस्था के केंद्र मंदिर पहुंच कस्बे में सुख,समृद्धि,खुशहाली अच्छी बारिश की कामना की।
यह कार्यक्रम गांव में प्रत्येक घर मे सामूहिक रूप से किया जाता है। इसके लिए गांव में मुनादी करवाई जाती है। धार्मिक कारणों से अधिकांशत: रविवार का दिन ही तय किया जाता है। गांव बाहर रसोई का आयोजन गांव का प्रत्येक समाज व वर्ग करता है। खेत पर ईंटों का अस्थाई चूल्हा बनाकर उस पर दाल तथा कण्डों में बाटी तथा कूट कर चूरमा तैयार किया जाता है।
खेत पर देवता का स्थान सहित इष्ट देव तथा विशेष रूप बरसात के देव इन्द्रदेव की पूजा-अर्चना करते हैं। गांव बाहर रसोई में लोग अपनी बहन-बेटी को न्यौता देते हैं। साथ ही, मित्र-रिश्तेदारों को भी आमंत्रित करना नहीं भूलते हैं।