दिलखुश मीणा
सावर (अजमेर)@स्मार्ट हलचल|लालसोट तहसीलदार अमितेश मीणा पर अधिवक्ताओं द्वारा किए गए हमले ने प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को हिला दिया है। इस हमले के विरोध में राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद के आह्वान पर गुरुवार से प्रदेशभर के तहसीलदार और उपपंजीयन अधिकारी सड़कों पर उतर गए। कार्यालयों में कामकाज ठप कर दिया गया। इसी क्रम में सावर तहसीलदार भगवती प्रसाद वैष्णव ने भी हड़ताल में शामिल होकर विरोध दर्ज कराया।
नाराज़गी चरम पर
गुरुवार को तहसील और उपपंजीयन कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। आमजन को आवश्यक सेवाओं के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं, जयपुर में तहसीलदारों ने एडीएम विनीता सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए हमलावरों की गिरफ्तारी, एफआईआर दर्ज करने में देरी करने वाले थानाधिकारी को निलंबित करने और दोषी अधिवक्ताओं के लाइसेंस रद्द करने जैसी कड़ी मांगें उठाईं।
कैसे भड़का विवाद?
19 अगस्त को लालसोट तहसील कार्यालय में अधिवक्ताओं के एक समूह ने जबरन प्रवेश कर तहसीलदार अमितेश मीणा और स्टाफ के साथ हाथापाई की। इस दौरान कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई, सरकारी दस्तावेज फाड़े गए, मोबाइल छीने गए और गाली-गलौज तक की गई।
“यह सिर्फ एक अफसर पर हमला नहीं”
तहसीलदार सेवा परिषद और राजस्थान पटवार-कानूनगो संघ ने इस घटना को केवल एक अफसर पर नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे पर हमला बताया है। दोनों संगठनों ने तहसील स्तर पर स्थायी सुरक्षा व्यवस्था लागू करने और पुलिस बल की तैनाती की मांग पर ज़ोर दिया है।
आंदोलन की चेतावनी
संगठनों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो 22 अगस्त से तहसीलदार, नायब तहसीलदार, भू-अभिलेख निरीक्षक और पटवारी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।