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विश्व हिंदी दिवस मनाने की कैसे हुई शुरुआत, जानें इसका इतिहास


विश्व हिंदी दिवस पर विशेष आलेख

जाने- कब कैसे और क्यों मनाया जाता है ?

विश्व हिंदी दिवस मनाने की कैसे हुई शुरुआत, जानें इसका इतिहास


मदन मोहन भास्कर

स्मार्ट हलचल/हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसके द्वारा आप अपनी बात को बड़ी ही आसानी से किसी को समझा सकते हैं। भले ही कुछ लोग अंग्रेजी बोलने में अपनी आन, बान और शान समझते हो लेकिन सच तो यही है कि हिंदी बेहद अच्छी भाषा है, जो हर एक भारतवासी को वैश्विक स्तर पर मान-सम्मान दिलाती है। हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भारत के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में हिंदी भाषी लोग हैं, जो कम्युनिकेशन से लेकर अन्य जरूरतों के लिए हिंदी का प्रयोग करते हैं। हिंदी उन भाषाओं में से एक है जो भारत के उत्तरी भाग और दुनिया भर में व्यापक रूप से बोली जाती है। मंदारिन और अंग्रेजी के बाद देखा जाए तो हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। विश्व हिन्दी दिवस हर साल 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका मकसद हिन्दी को वैश्विक स्तर पर एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना और इसके प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता पैदा करना है।

विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य

हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य को पूरे विश्व में फैलाने के उद्देश्य से हर साल हिंदी दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर अलग-अलग जगहों पर तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा पर खुलकर बात की जाती है। केंद्र सरकार की तरफ से भी हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी साहित्य से जुड़े साहित्यकारों को विभिन्न प्रकार के पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। भारत में ही नहीं, फिलीपींस, मॉरिशस, नेपाल, सूरीनाम, फिजी, तिब्बत, त्रिनिदाद और पाकिस्तान में भी हिंदी बोली जाती है। हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना है तथा हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र महासभा की आधिकारिक भाषा बनाना है।

विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा कब और किसने की

सन 1974 में महाराष्ट्र के नागपुर में पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। सन 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। सन 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 10 जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली बार हिन्दी बोली गई थी।

10 जनवरी को क्यों मनाया जाता है विश्व हिंदी दिवस

विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इसके मनाने का उद्देश्य हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना और वैश्विक स्तर पर इसे एक अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। इस अवसर पर दुनिया भर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

14 सितंबर को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय हिंदी दिवस

भारत में हिंदी भाषा का अपना अलग ही महत्व है। हिंदी भाषा को मान्यता देते हुए 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। हिंदी भाषा देश के अधिकतर क्षेत्रों में बोली जाती है ।इसलिए हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया। हिंदी के लिए 14 तारीख का चुनाव देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था । तब से 14 सितंबर को पूरे भारत में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1918 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राजभाषा बनाने पर जोर दिया था और इसे जनमानस की भाषा भी कहा था।

साल में दो बार क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस

प्रतिवर्ष 10 जनवरी और 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता । ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल हमेशा उठता है कि यह साल में दो बार क्यों मनाया जाता है और दोनों दिनों के आयोजन में अलग क्या है? वैसे तो विश्व हिंदी दिवस के बारें में हर कोई जानता है।

राष्ट्रीय हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस में अंतर

राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर को और विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को।राष्ट्रीय हिंदी दिवस भारत की राजभाषा के रूप में हिंदी की मान्यता का उत्सव है, जो 1949 में संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा घोषित करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वहीं, विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी का अंतरराष्ट्रीय प्रचार-प्रसार करना है।यह दिवस विश्वभर में हिंदी की पहचान को मजबूत करने और इसके प्रचार को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।

विश्व हिंदी दिवस 2025 की थीम

विश्व हिंदी दिवस हर वर्ष किसी विशेष थीम पर मनाया जाता है। इस बार विश्व हिंदी दिवस 2025 की थीम हिंदी एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज है।

विश्व हिंदी दिवस का महत्व

हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा माना जाता है। यह भारत संघ की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भाषा के महत्व को बढ़ावा देकर और लोगों को अपने भाषणों, प्रदर्शनों, संगीत और थिएटर में हिंदी को शामिल करने के लिए प्रेरित करके विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है । हिंदी भारत में एक महत्वपूर्ण भाषा है और हर किसी को इस भाषा के बारे में खुद को और अधिक शिक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। विश्व के सांस्कृतिक और भाषाई पहलू में भी हिंदी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

विश्व का पहला हिंदी सम्मेलन कब और कहा आयोजित हुआ

पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में किया गया था। इसके बाद दूसरा और तीसरा हिंदी दिवस भारतीय नॉर्वे सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में लेखक सुरेश चन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में बहुत धूमधाम से मनाया गया था। पोर्ट लुईस, स्पेन, लंदन, न्यूयॉर्क, जोहानसबर्ग आदि सहित भारत में विश्व हिन्दी सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है।

हिंदी भाषा विदेशों में भी लोकप्रिय

हिंदी पूरी दुनिया में बोली जाने वाली पांच भाषाओं में से एक है। विश्व भर के करोड़ों लोग आज हिंदी बोलते हैं। दक्षिण प्रशांत महासागर के मेलानेशिया में फिजी नाम का एक द्वीप है, जहां पर हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार, हिंदी विश्व की 10 शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। साल 2017 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में बच्चा, बड़ा दिन, अच्छा, सूर्य नमस्कार जैसे शब्द जोड़े गए हैं। इससे ये साबित होता है कि हिंदी भाषा अब विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही है। विदेश में रहने वाले लोगों को भी अब हिंदी का महत्व पता लग रहा है।

विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना

भारत में ही नहीं, फिलीपींस, मॉरिशस, नेपाल, सूरीनाम, फिजी, तिब्बत, त्रिनिदाद और पाकिस्तान में भी हिंदी बोली जाती है। वैश्विक मंच पर हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाएं कार्यरत हैं। हिन्दी का विश्व में प्रचार प्रसार करने के लिए मॉरीशिस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना भी की गई है। इस सचिवालय का उद्देश्य हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना है तथा हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र महासभा की आधिकारिक भाषा बनाना है।

हिंदी क्यों नहीं बन सकी राष्ट्रभाषा

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं राजभाषा है, राजभाषा यानी कामकाज की भाषा। दक्षिणी राज्यों व गैर हिंदी भाषियों के विरोध के चलते आजादी मिलने पर हिंदी राष्ट्र भाषा के दर्जें की मांग की गई । हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था लेकिन राष्ट्रभाषा को लेकर लंबी बहसें चलीं पर नतीजा कुछ नहीं निकला। महात्‍मा गांधी ने हिन्‍दी को जनमानस की भाषा कहा था। वह चाहते थे कि हिन्दी राष्ट्रभाषा बने। उन्‍होंने 1918 में आयोजित हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन में हिन्‍दी को राष्‍ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्‍दी को राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया। हिन्दी का राष्ट्रभाषा बनाए जाने के विचार से बहुत से लोग खुश नहीं थे। खासतौर पर दक्षिणी राज्य इसका कड़ा विरोध कर रहे थे। कई लोगों का कहना था कि सबको हिंदी ही बोलनी है तो आजादी के क्या मायने रह जाएंगे। 1960 के दशक में गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हुई कई हिंसक झड़पों के बाद देश की संसद ने राष्ट्रभाषा के विचार को त्याग दिया। यही वजह है कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी।

संविधान में विशेष प्रावधान

संविधान में भाग 17 के अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा को लेकर विशेष प्रावधान हैं। अनुच्छेद 343 (1) अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत संघ की भाषा देवनागरी लिपी में हिन्दी होगी ।

दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी भारतीय शब्दों को दे रही प्राथमिकता

दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (शब्दकोश) हर साल भारतीय शब्दों को जगह दे रही है। इसमें हिंदी शब्दों की भरमार है। टाइमपास, दादागिरी, जुगाड़, दोस्ताना, बिंदास, शरारत, सब्र, अच्छा, चमचा, चक्का जाम, अरे यार!’, भेलपूरी, कीमा, पापड़, करी, निर्वाण, पंडित, ठग जैसे अनेक हिन्दी शब्द इसमें शामिल हैं।

विश्‍व के अनेक विश्‍वविद्यालयों में पढ़ाई भी जाती है हिंदी

दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। भारत, फिजी के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम ,यूनाइटेड किंगडम और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है। विश्‍व के अनेक विश्‍वविद्यालयों में हिन्‍दी पढ़ाई भी जाती है।

हिंदी में उच्चतर शोध के लिए सरकार ने खोले संस्थान

हिंदी में उच्चतर शोध के लिए भारत सरकार ने 1963 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। देश भर में इसके आठ केंद्र हैं।

हिंदी भाषा के बारे में किसने क्या कहा

हिंदी पढ़ना और पढ़ाना हमारा कर्तव्य है। उसे हम सबको अपनाना है – लाल बहादुर शास्त्री

हिंदी भाषा वह नदी है जो साहित्य, संस्कृति और समाज को एक साथ बहा ले जाती है- रामधारी सिंह दिनकर

जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गर्व का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता- डॉ राजेंद्र प्रसाद

हिंदी को जीवन की भाषा बनाओ। यह केवल बोलचाल की भाषा नहीं, बल्कि विचारों की अभिव्यक्ति की भाषा है- मुंशी प्रेमचंद

मैं दुनिया की सभी भाषाओं की इज्जत करता हूं, पर मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, ये मैं सह नहीं सकता- आचार्य विनोबा भावे

राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा हो जाता है। हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो पूरे देश को एक सूत्र में बांधने की क्षमता रखती है- महात्मा गांधी

हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है, जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषा की अगली श्रेणी में समासीन हो सकती है- मैथिलीशरण गुप्त

हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और संस्कारों की पहचान है। यह भारत की आत्मा को प्रतिबिम्बित करती है और हैं एक सूत्र में पिरोती है- पीएम नरेंद्र मोदी

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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