भीलवाड़ा । पॉलीथिन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा है। इसे जलाने से जहरीली गैसें निकलती हैं, और यह मिट्टी और पानी को भी प्रदूषित करता है। इसके बचाव के लिए, हमें पॉलीथिन का उपयोग कम करना चाहिए। क्योंकि पॉलीथिन को नष्ट होने में सैकड़ों साल लगते हैं, जिससे यह पर्यावरण में जमा हो जाती है। पॉलीथिन मिट्टी में मिल जाती है, जिससे उसकी उर्वरता कम हो जाती है। पॉलीथिन पानी में घुलती नहीं है, जिससे यह पानी को भी प्रदूषित करती है। पॉलीथिन को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और डाइऑक्सिन जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं, जो वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसकी जहरीली गैसें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, त्वचा रोग और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यहां तक की पशु-पक्षी पॉलीथिन को खा जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है। वहीं अगर समय रहते पोलिथिन के बढ़ते उपयोग को नहीं रोका गया तो एक सर्वे और रिसर्च के अनुसार आने वाले कुछ वर्षों में इसके उपयोग के भयावह परिणाम सामने आएंगे। यह नजारा हरिशेवा धाम के पीछे से कैद किया गया है।