Homeराजस्थानजयपुर अलवरशहर के 250 से अधिक जैन मंदिरों में सवा लाख से अधिक...

शहर के 250 से अधिक जैन मंदिरों में सवा लाख से अधिक श्रद्धालुओं की अनंत चौदस की पूजा, रखे प्रतिष्ठान बंद, युवाओं, बड़े-बुजुर्गो, महिला, पुरुषों ने रखा निर्जल उपवास,worship of Anant Chaudas

worship of Anant Chaudas

वासना से वात्सल्य की और गमन ही ” उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म ” – आचार्य सौरभ सागर

जयपुर। स्मार्ट हलचल/शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 8 प्रताप नगर में बुधवार को दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन ” उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म ” एवं अनंत चतुर्दर्शी पर्व हर्षोल्लास के साथ आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में मनाया गया। साथ ही 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी के मोक्ष कल्याणक पर्व के अवसर पर मंत्रोच्चार के साथ निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। इससे पूर्व मूलनायक शांतिनाथ भगवान के स्वर्ण एवं रजत कलशों से कलशाभिषेक किये गए, जिसमें समाज के 500 से अधिक श्रद्धालु सम्मिलित हुए और भगवान का कलशाभिषेक किया एवं सौभाग्यशाली पुण्यार्जक परिवार के द्वारा आचार्य सौरभ सागर के मुखार्विन्द भव्य वृहद शांतिधारा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की बुधवार को दसलक्षण पर्व के अंतिम दिवस पर राजधानी जयपुर के 250 से अधिक जैन मंदिरों में सवा लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने श्रद्धा – भक्ति और अष्ट द्रव्यों के थाल के साथ ” दसलक्षण पर्व, उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म, अनंत चतुर्दर्शी और भगवान वासुपूज्य का जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नेवेघ, दीप, धूप, फल, अर्घ और महाअर्घ के साथ पूजन आराधना कर जिनेन्द्र प्रभु की भक्ति की।

जैन श्रद्धालुओं ने रखा अवकाश

अनंत चौदस के अवसर पर केवल राजधानी जयपुर ही नही अपितु संपूर्ण देशभर में जैन श्रद्धालुओं ने बुधवार को अपने सभी तरह के प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रखे और नोकरी पेशा श्रद्धालुओं ने अवकाश रख अनंत चौदस पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया।

रखा निर्जल उपवास, गुरुवार को त्यागी – व्रतियों का होगा सामूहिक पारणा

दसलक्षण पर्व के अंतिम दिवस अनंत चौदस पर्व का जैन धर्म में बहुत बड़ा महत्व है, इस अवसर पर संपूर्ण देशभर के श्रद्धालु सुबह से लेकर शाम तक जिनेन्द्र प्रभु का पूजन करते है और पूरे दिनभर का निर्जल उपवास रखते है, राजधानी जयपुर में 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने उपवास रखा और अकेले प्रताप नगर सेक्टर 8 में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में 500 से अधिक श्रद्धालुओं ने उपवास रखा। गुरुवार को आचार्य श्री के सानिध्य में सभी त्यागी – व्रतियों का सामूहिक पारणा करवाया जायेगा। गुरुवार को दसलक्षण पर्व के दस उपवास, पांच दिन के पंचमेरू उपवास, तीन दिन के झर का तेला, रत्नत्र का तेला इत्यादि उपवास रखने वाले त्यागी – व्रतियों का सामूहिक पारणा करवाया जायेगा, इससे पूर्व वर्षायोग समिति, समाज समितियों, संस्थानों द्वारा सभी का सम्मान किया जायेगा।

पूजन के दौरान उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर अपने उपदेश में आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा की
” भोगो को इतना भोगा कि खुद को ही भेग बना डाला, साध्य और साधना का अंतर मैने आज मिटा डाला। ”
काम और भोग से ग्रसित आत्मा हमेशा पतन को प्राप्त होती है और आत्मा से दूर होती है क्योकि अनादिकाल संस्कारो से युक्त आत्मा प्रयत्नशील न होकर मैथुन संज्ञा के ही अधीन हो जाती है। कामी व्यक्ति उस कुत्ते समान है जो हड्डी को चबाकर रस का अनुभव करता है। वासना काम उस ” किंपाल फल के समान है जो खाने में मधुर देखने में सुन्दर और सूँघने में सुरक्षित होती है किन्तु उसका परिणाम है – मृत्यु ही है। मोक्ष महल का अंतिम सोपान – ब्रह्मचर्य है। आत्मा में रमण करना, उसी में जीना यही ब्रह्मचर्य है, जिस प्रकार कमल पैदा तो कीचड़ में होता है किन्तु वह जाता कीचड़ से दूर मुक्त आकाश में है उसी प्रकार प्राणी काम से पैदा होता है यह उसकी मज़बूरी है किन्तु काम में ही जीना और मरना मज़बूरी नहीं है। अतः व्यक्ति को काम में नहीं राम में जीने का अभ्यास करना चाहिए, यही भाव एक दिन आत्मा स्वभाव को प्राप्त करवाने में सार्थक होंगे।

वर्षायोग समिति कार्याध्यक्ष दुर्गालाल जैन ने बताया की गुरुवार को प्रातः 8 बजे से प्रताप नगर सेक्टर 8 के मुख्य पांडाल प्रांगण पर दशलक्षण पर्व, पंचमेरु, झर का तेला, रतनत्र का तेला इत्यादि के उपवास करने वाले सभी 1 दर्जन से अधिक त्यागी – व्रतियों पर्व सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा। इससे पूर्व प्रातः 6.15 बजे से श्रीजी का कलशाभिषेक और शांतिधारा की जाएगी। प्रातः 7 बजे पूजन, विसर्जन क्रिया विधि संपन्न करवाई जायेगी। शुक्रवार को ” क्षमावाणी पर्व ” मनाया जायेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -