प्राचीन काल से अब तक दो बार महाप्रलय आने के बावजूद भी खिरेश्वर महादेव मंदिर को खरोंच तक नहीं आई
दुर्गेश रेगर, सत्येंद्र दाधीच
पीपलूंद। स्मार्ट हलचल। भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर उपखंड कस्बे से 10 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 148 डी शक्करगढ़ मार्ग पर धौड़ ग्राम पंचायत में स्थित प्राचीन नाम से विख्यात धौड़ नगरी में स्थित शिव शक्ति की उपासना का मुख्य केंद्र प्राचीन तीर्थ स्थल खीरेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। धौड़ नगरी भी अनेक तीर्थ स्थलों में से एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। जहां पर धौड़ नगरी के कण-कण में देवी देवताओं का वास हे। इस नगरी में जहां पर भी खुदाई का कार्य किया जाता है। वहां पर प्राचीन शिव मंदिर के आज भी अवशेष होने के साथ-साथ ईंट व पत्थर निकलते हैं। मंदिर के पुजारी मोहन पुरी महाराज ने बताया कि प्राचीन काल से लेकर अब तक धौड़ नगरी में दो बार महा प्रलय आने के बावजूद भी धौड़ खिरेश्वर महादेव मंदिर को खरोंच तक नहीं आई। धौड़ नगरी में स्थित खीरेश्वर महादेव का मंदिर जमीनी स्तर से लगभग 325 फीट नीचे भूगर्भ में स्थित है।यहां प्राकृतिक जल स्रोत, बरसाती झरना, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के अवशेष देखने के लिए ईंट, पत्थर आज तक भी नजर आते हैं। खिरेश्वर महादेव मंदिर के अलावा यहां पर, श्री यादे माता मंदिर, मत्स्य भगवान मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर इत्यादि स्थित हे।
प्राचीन खिरेश्वर महादेव मंदिर के स्तंभों पर शिलालेख में मंदिर का उल्लेख।
धौड़ नगरी मैं इसके शिवालय के स्तंभों पर विक्रम संवत 1225 से 1228 एवं 1226 के शिलालेखों में नित्य प्रमोदित देव शिव मंदिर का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त यह भी उल्लेख है कि पृथ्वीराज द्वितीय के अधीन ऊपर माल क्षेत्र के अधिराज कुमार पाल ने शिवालय का निर्माण करवाया था। चौहान नरेश बिसल के राजगुरु प्रभास राशि की प्रेरणा से सघन वन क्षेत्र से युक्त दो वाटिकाएं यह बनवाई गई। जिसमें कंदली, जामुन, आम, के साथ छायादार वृक्ष लगाए गए। यहां पर कुंड और बावड़ियों का भी निर्माण करवाया गया था। शिवालय के स्तंभों पर शिलालेख अब धीरे-धीरे मिटते जा रहे हैं।
धौड़ नगरी छोटे पुष्कर के नाम से भी विख्यात है।
धौड नगरी में स्थित खिरेश्वर महादेव मंदिर छोटा पुष्कर के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यहां पर स्थित प्राकृतिक कुंड में कार्तिक पूर्णिमा को शाही स्नान होता है यह मंदिर प्राचीन समय में भगवान शिव एवं शक्ति की उपासना का केंद्र था। एकादशी को रात्रि जागरण होने के साथी कार्तिक पूर्णिमा को 3 दिवसीय भव्य विशाल मेला लगता है।
धौड़ नगरी का प्राचीन नाम धवगर्त था।..
विक्रम संवत 721 शिलालेख के अनुसार मौर्य राजा धवलप यहां पर राज करते थे। उन्हीं के नाम पर धौड़ नगरी का प्राचीन नाम धवगर्त रखा गया था। जो उस समय सम्राट हर्ष के समकालीन माने जाते थे। यह स्थल उस प्राचीन काल समय से ही शिव एवं शक्ति की उपासना का केंद्र रहा था। लोगों की मान्यता है कि श्रावण मास में शिव एवं शक्ति की उपासना करने से भगवान शिव व माता पार्वती शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
धौड़ नगरी में खिरेश्वर महादेव मंदिर के अलावा अन्य प्राचीन मंदिर भी यहां पर स्थित है
धौड़ नगरी में खिरेश्वर महादेव मंदिर के अलावा अन्य प्राचीन मंदिर भी स्थित है, चारभुजा नाथ का मंदिर, शीतला माता मंदिर, रूठी रानी मंदिर, बांसबड़ा माता मंदिर, गणेश मंदिर, घूमस माता, सूरजपोल, एवं नाथूण गांव में स्थित घाटारानी मंदिर,व मामा देव का मंदिर सहित इत्यादि मंदिर इस धौड नगरी में मौजूद हे।