Yoga to get rid of constipation:आजकल खराब लाइफस्टाइल और बाहर के फूड्स खाने से पेट से संबंधित कई सारी समस्याएं हो जाती है जैसे पेट में दर्द, पेट का फूलना, मतली, अपच, उल्टी, सूजन, दस्त या कब्ज आदि। हालांकि, पेट खराब होने के ओर भी कई सारे कारण हो सकते है, लेकिन बाहर के फूड्स खाने की वजह से रोजाना पेट पूरी तरह से साफ ही नही हो पाता है। जिसकी वजह से लोगों में कब्ज की समस्या होने लगती है। खानापान के अलावा कब्ज नींद ना पूरी होना और स्ट्रेस की वजह से भी हो सकता है। कब्ज को दूर करने के लिए खान- पान के साथ- साथ अपने रूटीन में योगासनों को भी शामिल करना जरूर होता है। इसलिए आज हम आपके लिए कुछ योगसन लेकर आए है, जिसकी मदद से आपको कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। तो आइए जानते है।
योग कब्ज से कैसे राहत दिलाता है?
योग के लाभ किसी भी अन्य शारीरिक कसरत से कहीं अधिक हैं, चाहे वह आदर्श शरीर का वजन हो, सुडौल मांसपेशियां हों, लचीलेपन में वृद्धि हो, आराम हो, साथ ही स्वस्थ आंत हो।
2016 के एक अध्ययन से पता चला है कि योग कब्ज को ठीक करने में प्रभावी है और बुजुर्ग रोगियों में इसे ठीक करने के लिए दवा के सेवन की आवश्यकता को काफी कम कर देता है।
कब्ज: लक्षण और कारण
कब्ज को आम तौर पर कम मल त्याग या मल त्यागने में कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। हालाँकि, इसके साथ कुछ अन्य महत्वपूर्ण लक्षण भी शामिल हैं:
- सूजन और पेट दर्द
- कठोर, सूखा और गांठदार मल का निकलना
- 3 दिनों से अधिक समय तक मल त्याग न करना
- मल त्याग करते समय अत्यधिक तनाव होना
- पेट फूलना और सिरदर्द
- भूख न लगना और सुस्ती
कब्ज के लिए योग सीधे तौर पर कब्ज के मूल कारण पर काम करके इससे राहत दिलाने में अद्भुत काम करता है, जिसमें शामिल हैं:
- व्यस्त जीवनशैली और लंबे समय तक काम करना।
- अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें और अनुचित आहार।
- अनियमित कामकाजी घंटों, नींद की कमी, अवसाद आदि के कारण अपर्याप्त आराम के घंटे होना।
- हाइपोथायरायडिज्म या कम सक्रिय थायरॉयड ग्रंथि के कारण परेशान चयापचय।
- पानी और अन्य तरल पदार्थों का कम सेवन।
- अन्य स्वास्थ्य विकार जैसे चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम, मधुमेह, आदि।
- समय पर शौच से बचना।
- आंतों की गति को बढ़ावा देने के लिए जुलाब पर अत्यधिक निर्भरता ।
सुप्त मत्स्येन्द्रासन
1सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
2अब अपने दाएं पैर को छुटने से मोड़ लें और पैर को ऊपर उठाते हुए तलवे को बाएं घुटने के पास टिकाएं।
3इसके बाद पीठ को बाई ओर मोड़ लें। फिर अपने दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें और बाएं हाथ को कंधे की सीध में फैला लें।
4फिर सिर को बाई ओर मोड़ लें। कुछ देर इसी अवस्था में रूकें।
5कुछ देर के बाद समान्य अवस्था में आ जाएं।
6आप इस आसन को तीन से पांच बार दोहरा सकते है।
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हल आसन (हलासन)
शरीर को हल की मुद्रा में उल्टा करने से पेट के क्षेत्र पर दबाव पड़ता है, जिससे पाचन अंगों की मालिश होती है और गैस्ट्रिक रस का स्राव सक्रिय होता है। इसके अलावा, यह शरीर को उलटा कर देता है जो मन को शांत करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है।
इसलिए, तनाव से राहत देकर और भोजन के आसान पाचन को बढ़ावा देकर, हल मुद्रा कब्ज, गैस, मतली और उल्टी सहित विभिन्न पाचन समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करती है।
निर्देश
- पैरों को एक साथ रखते हुए और हथेलियों को फर्श पर मजबूती से रखते हुए अपनी पीठ के बल लेटने से शुरुआत करें।
- सांस छोड़ते हुए हथेलियों को फर्श पर दबाते हुए अपने पैरों को ऊपर उठाएं।
- धीरे-धीरे अपने पैरों को अपने सिर से आगे ले जाएं जब तक कि पैर की उंगलियां फर्श तक न पहुंच जाएं।
- धीरे-धीरे सांस लेते हुए 1-2 मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।
- प्रारंभिक स्थिति में वापस आने के लिए छोड़ें और इसे 3-5 बार दोहराएं।
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