बता दें कि महाराष्ट्र के पुणे में बीते 11 दिनों में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं। एक जुलाई को दो गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। यही वजह है कि केंद्र सरकार इसे लेकर सतर्कता बरत रही है। सरकार ने जीका वायरस से संक्रमित महिलाओं के भ्रूण की लगातार निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं को मच्छरों से मुक्त रखने के लिए नोडल अफसर नियुक्त करने के साथ ही रिहायशी इलाकों, स्कूलों, निर्माणाधीन स्थलों और विभिन्न संस्थानों को भी मच्छरों से मुक्त रखने को कहा गया है।
गर्भवती महिलाएं शामिल
स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, “इन मरीजों में दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं।” बताया जा रहा है कि दोनों महिलाओं की हालत अभी ठीक है और उनमें कोई लक्षण नहीं है। पुणे का नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग सभी मरीजों की निगरानी कर रहा है। संक्रमित मच्छरो के रोकने के लिए फॉगिंग और फ्यमिगेशन किया जा रहा है।
युगांडा सामने आया था पहला मामला
जानकारी के लिए बता दें कि जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छर की इसी प्रजाति को डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। साल 1947 में युगांडा में जीका वायरस का पहला मामला सामने आया था।
क्या हैं जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस मच्छर के काटने से फैलता है। मच्छर की इसी प्रजाति को डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है। बताया जा रहा है कि इस रोग से संक्रमित 5 मरीजों में से एक मरीज में इसका कोई लक्षण नहीं दिखता। यह वायरस एडीज मच्छर में पाया जाता है। इसके लक्षण 2 से 14 दिनों के बीच दिखता है। आमतौर पर जीका वायरस का संक्रमण होने के बाद मरीज में हल्का बुखार, जोड़ों में दर्द, स्किन पर रैशेज, आंखे लाल होना ऐसे लक्षण पाए जाते है। इसके अलावा कई मरीजों में सिर दर्द, पेट में दर्द, आंखों में दर्द, थकान और असहज महसूस होना जैसे भी लक्षण देखने को मिलते है।
गर्भवती महिलाओं के लिए वायरस ज्यादा खतरनाक
जीका वायरस संक्रमण भी डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर जनित बीमारी है। स बीमारी से संक्रमित ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इस बीमारी से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को होने वाले बच्चों का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और उनके सिर का आकार सामान्य से कम होता है। इस वजह से जीका वायरस संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है। भारत में साल 2016 में जीका वायरस के संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में भी इसके संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। 2 जुलाई तक महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं।