पुनित चपलोत
भीलवाड़ा । 11 साल पहले पत्नी को परेशान कर मरने के लिए मजबूर करने के आरोपित पति सीताराम गुर्जर को 7 साल के कठोर कारावास और 40 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। यह अहम फैसला अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश (महिला उत्पीडन प्रकरण) ने सुनाया। प्रकरण के अनुसार, सावर थाने के खेजड़ी गांव निवासी महाराम पुत्र कल्याण गुर्जर ने एक जनवरी 2013 को जहाजपुर सीएचसी में जहाजपुर पुलिस को रिपोर्ट दी। महाराम ने रिपोर्ट में बताया कि उसकी बेटी सुशीला की शादी दस साल पहले मोतीपुरा, जहाजपुर के सीताराम पुत्र स्व. रामरतन के साथ की थी। इसके बाद से ही सुशीला ससुराल आ जा रही थी। उसे तब से ही जेठानी ममता, सास गौरी व पति सीताराम प्रताडित करते रहे। ममता ने उसे धमकी दी कि तुझे यहां नहीं रहने दूंगी। इन सभी ने मिलकर कई बार सुशीला के साथ मारपीट कर जान से मारने की कोशिश की। सुशीला ने तीन दिन पूर्व बताया कि तीनों ने उसके साथ मारपीट की। इस पर सुशीला को लेने भाई देवराज व काका गये थे। तब समझाइश करने पर सुशीला के काकी ससुर रामदेव गुर्जर ने जवाबदारी ली कि आगे से ऐसा नहीं होने दूंगा। सुबह पता चला कि सुशीला की मौत हो गई है। परिवादी ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मर्ग दर्ज कर जांच की। शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया। जांच के बाद पुलिस ने धारा 306 में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरु की। अनुसंधान से पुलिस ने सीताराम गुर्जर के खिलाफ धारा 306, 498 ए साबित पाया। इसके बाद आईजी अजमेर रेंज के आदेश से इस मामले की जांच तत्कालीन केकड़ी डीएसपी सरिता सिंह को दी गई। एएसपी सिंह ने तफ्तीश और तस्दीक की। डीएसपी सिंह ने पाया कि सुशीला को ससुराल में उसका पति सीताराम तंग परेशान करता तथा उसको पूरा शारीरिक सुख व वैवाहिक संबंधों की पालना नहीं करता था। इसके चलते उसे कोई औलाद नहीं हुई। सुशीला इसके चलते कुंठित व परेशान रहने लगी। ससुराल व में वह अपने पति के साथ अलग रहती थी। घटना के रोज रात में पति-पत्नी के बीच आपसी बोलचाल व झगड़ा हुआ था। पति फसल की रखवाली करने खेत चला गया। पीछे से सुशीला ने पति से दुःखी होकर कोई जहरीली वस्तु या जहर जहर मरने के लिए खा लिया। इससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। सुशीला को राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपित पति को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट पेश की। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक संजू बापना ने 18 गवाहों के बयान करवाये और 16 दस्तावेज पेश कर सीताराम पर लगे आरोप सिद्ध किये। सुनवाई पूरी होने पर न्यायालय ने आरोपित सीताराम को 7 साल के कठोर करावास और 40 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया।