नेशनल हाईवे हो या स्टेट हाइवे के टोल हो परन्तु टोल प्लाज़ा सिर्फ़ सफ़र की कीमत वसूलने का ज़रिया ही नहीं, बल्कि रसूखदारों के दबाव का अड्डा भी बनते जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कई टोल के नज़दीकी थाना स्टाफ, स्थानीय सरपंच और उनके करीबी लोग आए दिन टोल कर्मचारियों को कॉल कर गाड़ियाँ “फ्री निकालने” की जिद ठोकते हैं।
अगर कोई टोल कर्मचारी उनकी बात टाल दे तो ये लोग नाराज़ होकर टोल स्टाफ पर दबाव बनाने से भी नहीं चूकते। मगर इसके बीच सबसे बड़ी बात ये है कि अधिकांश टोल कर्मचारी नियमों से समझौता नहीं करते। कई बार दबाव और धमकियों के बावजूद वे साफ़ शब्दों में कह देते हैं कि “फ्री पास सिर्फ़ सरकार की तय स्कीम से ही मिलेगा, फोन से नहीं।”
दरअसल, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और IHMCL ने आम लोगों के लिए FASTag वार्षिक पास योजना शुरू कर रखी है। इस योजना में मात्र ₹3,000 में पूरे साल के लिए 200 टोल क्रॉसिंग (एक साइड) की सुविधा दी जा रही है। यानी सिस्टम मौजूद है, लेकिन रसूखदार लोग नियम तोड़कर शॉर्टकट चाहते हैं।
यह पूरा मामला साफ़ करता है कि दबाव कितना भी बड़ा क्यों न हो, टोल कर्मचारी पुरे नियम और ईमानदारी की ड्यूटी निभा रहे हैं।