मुकेश खटीक
मंगरोप।5 से 10 सालों मे गांव के विभिन्न हिस्सों में करीब आधा दर्जन रिहायसी कॉलोनिया बनाई गई है।लेकिन अब तक किसी भी कॉलोनी मे लोगों के लिए किसी भी प्रकार की मुलभुत सुविधाएं परिपूर्ण नहीं हो पाई है सभी कॉलोनीया आधी अधूरी एवं अविकसित है।कॉलोनी में प्लाट बेचने के लिए कॉलोनाइजर्स लोगों को तरह-तरह की मुलभुत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लुभावने सपने दिखानें मे लगे हुए है लोग गांव की तंग गलियों से निजात पाने के लिए धड़ाधड प्लाट खरीद रहे है।लोगों द्वारा मुहमांगी दरो में प्लाट की रकम अदा करनें के बाद भी कॉलोनी में किसी भी प्रकार की कोई भी मुलभुत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।ऐसे मे कॉलोनी मे रहने वाले लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है करीब 2015 में आमा रोड़ पर श्याम विहार के नाम से पहली रिहायसी कॉलोनी काटी गई थी जिसमें वर्तमान समय में करीब दर्जन भर से अधिक मकान बनाकर लोग बस गए है कॉलोनी के बाहर दिखावे के लिए सीमेंट का फेसनेबल गेट लगा रखा है लेकिन लम्बे समय से लोग सड़क और नालियों जैसी मुलभुत सुविधाओं के लिए तरस रहे है।कॉलोनीवासियों का कहना है की हमने अपने घरों में शौचालय तों बना लिए है लेकीन नालियाँ नहीं होने के कारण उनका अपयोग नहीं कर पा रहे है शौच के लिए महिलाओं,पुरुषों यहां तक की बच्चों को भी खुले जंगल में जाना पड़ रहा है।भारत सरकार का हर घर मे हो शौचालय वाला मिशन सिर्फ कागजी और टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों तक ही सिमित रह गया है जबकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है कई गांव तों अब भी खुले मे शौच जाने को मजबूर है।कुछ दिनों बाद गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है इसके साथ ही जहरीले जीव जंतुओ का अपने बिलों से बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो जायेगा जो की कॉलोनीवासियों के लिए घातक साबित हो सकता है।कॉलोनी वासियों नें सड़क और नालियों के निर्माण की मांग की है।