बूंदी- स्मार्ट हलचल|जिले की कुंवारती कृषि मंडी में मंगलवार को किसानों का गुस्सा खुलेआम फूट पड़ा। बीते कई दिनों से अपनी उपज के बेहतर दाम की मांग को लेकर मंडी में चल रहे आंदोलन में किसानों ने एकजुट होकर अब नई दिशा दे दी है। किसानों का कहना है कि अब आंदोलन किसी नेता या संगठन का नहीं, बल्कि हर किसान की आवाज़ का है।किसानों ने सामूहिक रूप से कहा कि कुछ लोग आंदोलन का फायदा उठाकर अपनी नेतागिरी चमकाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उन्हें किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं है। किसानों ने कहा,“फसल हमारी है, हम तय करेंगे कि इसे कितने में बेचना है — चाहे कम दाम मिले या ज्यादा, यह हमारा हक है।”किसानों ने चेतावनी दी कि कोई भी व्यक्ति उनके आंदोलन को राजनीतिक मोड़ देने की कोशिश करेगा, तो वे मंडी परिसर में उसका विरोध करेंगे। उनका कहना है कि यह आंदोलन किसी दल या व्यक्ति का नहीं, बल्कि किसानों के हक का है।
बारिश ने बढ़ाई परेशानी, गीली हुई धान की फसल
किसानों ने बताया कि सोमवार रात हुई तेज बारिश से उनकी धान की फसल पूरी तरह गीली हो गई। बावजूद इसके, किसी प्रशासनिक अधिकारी या सरकारी प्रतिनिधि ने आकर उनकी समस्या नहीं सुनी। किसानों का आरोप है कि जब बात फसलों की खरीद या नुकसान की भरपाई की आती है, तो अधिकारी और नेता गायब हो जाते हैं।उन्होंने सवाल उठाया कि मंडी में फसल बिकने का सही रेट कौन तय करेगा? अगर फसल किसान की है, तो निर्णय का अधिकार भी किसान का ही होना चाहिए।
किसानों की मांग: मंडी में पारदर्शी खरीद प्रक्रिया
किसानों ने प्रशासन से मांग की कि मंडी में फसल की खरीद के लिए एक पारदर्शी प्रणाली लागू की जाए, जिससे किसानों को उचित दाम मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि धान की नमी को लेकर व्यापारी मनमानी करते हैं और इसका सीधा नुकसान किसानों को होता है।किसानों ने मांग रखी कि मंडी में सरकारी खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि सभी किसानों को अपनी उपज बेचने में परेशानी न हो।
“राजनीति नहीं, समाधान चाहिए”
किसानों ने दोहराया कि उनका आंदोलन किसी पार्टी या संगठन से प्रेरित नहीं है। वे सिर्फ न्यायपूर्ण मूल्य और सम्मानजनक व्यवहार चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे सरकार से टकराव नहीं, बल्कि संवाद और समाधान चाहते हैं।किसानों का कहना है कि अगर उनकी उपज का दाम तय करने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया, तो वे आने वाले दिनों में मंडी बंद आंदोलन का भी ऐलान कर सकते हैं।बूंदी की कुंवारती मंडी में मंगलवार का दिन किसानों की एकता और स्वाभिमान का प्रतीक बन गया। उन्होंने साफ कहा कि उनका आंदोलन किसी मंच का नहीं, बल्कि किसान की मेहनत की आवाज़ का है। किसानों ने नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अब राजनीति नहीं, नीति की बात होगी।


