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भारतीयों को अब फुटवियर खरीदने के लिए यूके-यूएस नंबर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा,’भा’ इस समस्या का समाधान करना चाहती है

लंबे समय से, भारतीयों ने अमेरिकी या यूरोपीय पैरों से बने जूते पहने हैं। इससे अक्सर उनके पैरों में दर्द होता है, छाले पड़ जाते हैं या आकार भी बदल जाता है। लेकिन ‘भा’ नाम का एक नया विचार चीजों को बदल सकता है। ‘भा’ भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया जूते को आकार देने का एक नया तरीका है। इसका नाम भारत के नाम पर रखा गया है. बहुत से लोगों से उनके पैरों के बारे में पूछने और उन्हें फैंसी मशीनों से स्कैन करने के बाद उन्हें यह विचार आया। उन्होंने पाया कि भारतीय पैर पश्चिमी पैरों से भिन्न होते हैं। वे आमतौर पर व्यापक होते हैं. यह समस्याएँ पैदा करता है, विशेषकर बच्चों और किशोरों के लिए जो बहुत तंग या बहुत ढीले जूते पहनते हैं। इससे लंबे समय में उनके पैरों को चोट पहुंच सकती है।

‘भा’ इस समस्या का समाधान करना चाहती है. अमेरिका या यूरोप जैसे कई आकारों के बजाय, ‘भा’ के केवल आठ आकार हैं। इन्हें अलग-अलग उम्र और लिंग के हिसाब से बेहतर ढंग से फिट करने के लिए बनाया गया है, जिससे आराम के लिए अधिक जगह मिलती है।

आठ आकार शिशुओं, बच्चों, बड़े बच्चों, लड़कियों, लड़कों, महिलाओं और पुरुषों के लिए हैं। इससे कंपनियों के लिए जूते बनाना आसान हो जाता है, पैसे की बचत होती है और काम आसानी से चल जाता है। वे बच्चों और वयस्कों के लिए आकारों से शुरुआत कर रहे हैं, जो भारत में अधिकांश लोगों के लिए उपयुक्त होंगे। लगभग 85% भारतीयों को ऐसे जूते मिल गए जो उन्हें ‘भा’ के साथ बिल्कुल फिट बैठते हैं।

कंपन‍ियां 2025 से नए साइज का फुटव‍ियर तैयार करेंगी

लेक‍िन अब यह पूरा स‍िस्‍टम बदलने वाला है. नए स‍िस्‍टम के तहत जूते-चप्पलों के इंड‍ियन स्‍टैंडर्ड पांव तैयार हो रहे हैं. अब फुटव‍ियर कंपन‍ियां अलग से भारतीयों के लिए फुटव‍ियर साल 2025 से तैयार करेंगी. इसके लिए ‘भा’ कोड का इस्‍तेमाल क‍िया जाएगा, ज‍िसका मतलब भारत से है. हालांक‍ि इसके ल‍िए अभी ब्यूरो ऑफ इंड‍ियन स्टैंडर्ड से मंजूरी म‍िलना बाकी है. भारतीयों के पैरों के पांव का शेप और साइज समझने के लिए काउंस‍िल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और सेंट्रल लेदर रिसर्च भार इंस्टीट्यूट ने देशभर में सर्वे किया.

11 साल की उम्र तक बढ़ता है महिलाओं का पांव
इस सर्वे से यह पता चला क‍ि महिलाओं के पांव का आकार 11 साल की उम्र तक बढ़ता है, जबकि पुरुषों में पांव का साइज यह 15-16 साल की उम्र तक बढ़ता है. फुटव‍ियर मार्केट को लेकर होने वाले बदलाव का कारण भारत का बड़ा बाजार है. यहां पर हर भारतीय नागर‍िक के पास औसतन 1.5 जूते हैं. सर्वे से यह भी सामने आया क‍ि ऑनलाइन खरीदे गए 50% फुटवियर सही साइज नहीं होने के कारण इन्‍हें लौटा द‍िया जाता है

 BHA के बारे में

  • सरल आकार: भा शिशुओं से लेकर वयस्कों तक, आयु समूहों द्वारा वर्गीकृत आठ फुटवियर आकारों का प्रस्ताव करता है। यह अपने बहु-आकार विकल्पों और आधे-आकार वाली मौजूदा प्रणाली से एक बड़ा बदलाव है।

  • बेहतर फ़िट: भा पैर की लंबाई और चौड़ाई दोनों को ध्यान में रखता है। इससे अधिकांश भारतीयों के लिए अधिक आरामदायक जूते उपलब्ध होने चाहिए।

  • विनिर्माण को बढ़ावा: भा आधे आकार की आवश्यकता को समाप्त करके विनिर्माण को सरल बना सकता है। इससे संभावित रूप से लागत कम हो सकती है और दक्षता में सुधार हो सकता है।

भा अभी भी विकासाधीन है, लेकिन इसके 2025 तक लागू होने की उम्मीद है। इससे पहले, नए आकार अच्छी तरह से काम करें यह सुनिश्चित करने के लिए एक परीक्षण अवधि होने की संभावना है।

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स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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