Homeराजस्थानकोटा-बूंदीशिवपुराण कथा की प्रसादी के साथ हुई पूर्णाहुति

शिवपुराण कथा की प्रसादी के साथ हुई पूर्णाहुति

शिवपुराण कथा की प्रसादी के साथ हुई पूर्णाहुति

बूंदी। स्मार्ट हलचल/बूंदी क्षेत्र के धाबाईयो का चौक मैं स्थित बूड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में सुंदरकांड महिला मंडल के द्वारा आयोजित शिवपुराण कथा की रविवार को पूर्णाहुति हुई। शिवपुराण के कथा वाचक पं संजय भारद्वाज के सानिध्य में संपन्न किया गया है जिसमें बड़ी संख्या में शिव भक्त शामिल हुए कथा वाचक पं संजय भारद्वाज ने अंतिम दिन की कथा सुनाते हुए भक्तों से कहा कि शिव के महात्मय से ओत-प्रोत यह पुराण शिव महापुराण के नाम से प्रसिद्ध है। भगवान शिव पापों का नाश करने वाले देव हैं तथा बड़े सरल स्वभाव के हैं। इनका एक नाम भोला भी है। अपने नाम के अनुसार ही बड़े भोले-भाले एवं शीघ्र ही प्रसन्न होकर भक्तों को मनवाँछित फल देने वाले हैं। कथावाचक भारद्वाज ने श्रद्धालुओं से कहा कि धार्मिक आयोजनों में भावनाएं होनी जरूरी है। सगुण, साकार सूर्य, चंद्रमा, जल, पृथ्वी, वायु यह एक शिव पुराण का स्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि अपने चारों ओर सदैव वातावरण शुद्ध रखें। जहां स्वच्छता और शांति होती है, वहां देवताओं का वास होता है। जल,वायु, पेड़ एक चेतन से लेकर जड़ चेतन में आकर एक-दूसरे के सहायक बनते हैं। जहां अधार्मिकता बढ़ जाती है और कर्म को भूल जाते हैं, वहां शिव और शक्ति दोनों नहीं होते।शिव की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव ही मनुष्य को सांसारिक बन्धनों से मुक्त कर सकते हैं, शिव की भक्ति से सुख व समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। कहा कि इस अलौकिक शिवपुराण की कथा सुनना अर्थात पाप से विमुक्त होना है। आयोजित शिव महापुराण में कथा को सुनने के लिए अधिक संख्या में भक्त पहुचे। कथा सार सुनकर श्रोता झूम उठे।पूर्णाहुति के पूर्व शिवपुराण के कथा वाचक पं संजय भारद्वाज ने शिव महापुराण कथा का सार बताया। उन्होंने कहा कि अपने अभिमान में चूर होकर दक्ष प्रजापति ने कनखल में यज्ञ किया। इसमें सभी देवों व ऋषि मुनियों को आमंत्रित कर उन्होंने भगवान शिव की उपेक्षा की। इसकी सूचना सती को अपनी सहेलियों से मिली, इसके बाद शिव के समझाने के बाद भी वे यज्ञ में पहुंच गई। वहां देखा कि भगवान शिव का अपमान हो रहा है। पूछने पर राजा दक्ष ने सती का भी अपमान किया। नाराज सती ने यज्ञ कुंड में ही अपना शरीर त्याग दिया। यह जानकारी जब शिव को हुई,तब वे रौद्र रूप में आ गए और उन्होंने अपने गणों की मदद से कनखल को तबाह कर दिया। कथा के इस प्रसंग को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।भक्तों को भी अपनी जीवन भर की कमाई के रूप में भजन बाबा को समर्पित कर निस्वार्थ भक्ति करनी चाहिए। यजमान श्री लोकेश सुखवाल जी , ताराचंद लखोटिया, अनिल तोतला , राजेंद्र लखोटिया ,शैलेन्द्र लखोटिया, महावीर जी बिरला , हनुमान बिरला, शंभू जी गर्ग द्वारा पूर्णाहुति व महाआरती की गई , सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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