Bipolar Personality Disorder:हम में से कई लोग ऐसे होते हैं, जिनका मूड पल-पल में बदलता है. वो पल में नाराज तो पल में खुश हो जाते हैं. जरा-जरा सी चीजों को लेकर ऐसे लोग इनसिक्योर हो जाते हैं. वैसे तो उनकी इस आदत को हम हल्के में लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है ये एक गंभीर मानसिक बीमारी हो सकती है. मेडिकल की भाषा में बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Bipolar Personality Disorder) कहते हैं. अक्सर ये परेशानी उम्र बढ़ने के साथ देखी जाती है. आइए जानते हैं इसके बारे में और इससे कैसे बचें.
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या होता है?
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मानसिक रोग है जो हमारे सोचने की क्षमता को कमजोर कर देता है। यह डिसऑर्डर आपकी मानसिक क्षमता को इस हद तक प्रभावित करता है कि आप खुद से प्यार करना ही छोड़ देते हैं। बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व में बहुत कमियां नजर आती हैं और वह कभी-कभी अपनी फीलिंग्स पर नियंत्रण भी खो देता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर वाले व्यक्ति को साथ रह रहे लोगों को अचानक से छोड़ जाने का डर हमेशा लगा रहता है। इसके साथ ही इस समस्या से परेशान लोग अकेले रहना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। हालांकि इनको अलेके रहना पड़ता है क्योंकि बार-बार मूड बदलने और गुस्सा होने के स्वाभाव के कारण ज्यादातर लोग इनसे खुद ही दूरी बना लेते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कारण हमारे दिमाग का हिप्पोकैम्पस, एमिग्डाला और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स भाग मुख्य रूप से प्रभावित होते हैं।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के लक्षण
- इससे पीड़ित लोगों को हमेशा डर महसूस होता है.
- इसके मरीजों को गुस्सा जल्दी आता है
- इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति किसी से बहुत ज्यादा प्यार करता
- साथ ही साथ हद से ज्यादा नफरत कर सकता है
- व्यवहार में जल्दी-जल्दी बदलाव
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन
- रिश्तों को जल्दी तोड़ना या बनाना शुरू करना
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के कारण-
हार्मोन्स का असंतुलन- शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन के चलते भी ऐसा हो सकता है. खासकर पीरियड्स के समय लड़कियों को ये समस्या हो सकती है
अनुवांशिक कारण- फैमिली हिस्ट्री के चलते भी हो सकता है. अगर आपके घर में इससे कोई पीड़ित रहा है तो ये आपको भी हो सकता है.
कैसे बचें
- सबसे पहले तनाव से दूर रहें, नेगेटिव वातावरण में न रहें
- अपनों के साथ ज्यादा समय बिताएं
- अपनी हॉबी को समय दें
- नेगेटिव वातावरण
- मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लें
- अलग-अलग तरह की थेरेपी कारगर होती हैं